चंडीगढ़, 21 फरवरी (आईएएनएस)। हरियाणा के इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलोद) द्वारा 23 फरवरी से पंजाब-हरियाणा सीमा पर विवादित पंजाब सतलज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर की खुदाई पर अड़ने के बाद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को सेना की तैनाती की मांग की।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि हालात के बेकाबू होने से पहले इनेलोद तथा उसके नेताओं को काबू में करना जरूरी है।
उन्होंने हालात पर नियंत्रण के लिए इनेलोद के नेता अभय चौटाला की ऐहतियातन गिरफ्तारी और पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला की पैरोल को रद्द करने की मांग की।
अमरिंदर ने कहा, “हालात खतरनाक स्थिति में पहुंच गए हैं। मुद्दे पर अभय चौटाला का अड़ियल रुख तथा सेना के बुलाए जाने के बाद भी सतलज यमुना लिंक नहर की खुदाई करने की उनकी धमकी, उनकी ऐहतियातन गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त आधार है।”
इनेलोद नेतृत्व द्वारा कथित तौर पर कानून को खुली चुनौती देने तथा सतलज यमुना नहर मुद्दे पर पंजाब में आतंकवाद के दोबारा सिर उठाने के संकेत की खुफिया रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमरिंदर ने चेतावनी दी कि अगर इनेलोद कार्यकर्ता नहर की खुदाई करने के लिए पंजाब का रुख करते हैं, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वह कई बार कह चुके हैं कि एसवाईएल मुद्दे में पंजाब में आतंकवाद के दोबारा सिर उठाने की क्षमता है और खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट ने आशंका को खारिज नहीं किया है।
चौैटाला ने मंगलवार को कहा कि अगर अधिकारी उन्हें रोकने के लिए सेना भी बुला लें, तब भी इनेलोद नहर खोदने के लिए आगे बढ़ेगा।
केंद्र तथा हरियाणा सरकार पर हरियाणा तथा पंजाब में इनेलोद द्वारा तनाव उत्पन्न करने का मूकदर्शक बनने का आरोप लगाते हुए अमरिंदर ने कहा, “इनेलोद के आगे बढ़ने से पहले केंद्र सरकार को तत्काल व्यापक पैमाने पर सेना की तैनाती का कदम उठाना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मुद्दे पर अभय चौटाला के उद्दंड तथा उकसावे वाले बयान का पंजाब की शांति पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।”
अमरिंदर ने कहा, “पंजाब एक तरह से बारूद पर बैठा हुआ है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवादियों के कई स्लीपिंग सेल फिर से अपना सिर उठाने के लिए तैयार हो रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आतंकवादी संगठन हालात का फायदा उठा सकते हैं।
वहीं, हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता चौटाला ने आरोप लगाया है कि पंजाब के साथ पानी के बंटवारे के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के हरियाणा के पक्ष में फैसले के बावजूद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार कुछ भी नहीं कर रही है।
सर्वोच्च न्यायालय ने बीते साल नवंबर में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस के आधार पर पंजाब विधानसभा द्वारा पंजाब टर्मिनेशन ऑफ वाटर एग्रीमेंट बिल, 2004 को पारित किए जाने को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था।