Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 नशे की लत | dharmpath.com

Friday , 22 November 2024

Home » धर्म-अध्यात्म » नशे की लत

नशे की लत

13_03_2013-larनदी के तट पर कुटिया में एक संत रहते थे। किसी कंपनी का एक अधिकारी संत के पास पहुंचा। संत नदी के किनारे रेत पर टहल रहे थे। अधिकारी बोला – मैं सिगरेट छोड़ना चाहता हूं, लेकिन छोड़ ही नहीं पाता। कभी दफ्तर में मीटिंग लंबी हो जाती है, तो बिना सिगरेट बुरा हाल हो जाता है। मैं क्या करूं? संत मुस्कुराए। बोले – जब मैं बच्चा था, तो मुझे रंग-बिरंगे पत्थर बहुत आकर्षित करते थे। कहीं भी कोई पत्थर मिल जाता, तो उसे छोड़ता नहीं था। एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ नदी के तट पर आ गया। यहां अनगिनत रंग-बिरंगे पत्थरों को देखकर मैं खुशी से पागल हो गया। उन्हें समेटने लगा। अपने थैले में मैंने इतने पत्थर भर लिए कि मैं उन्हें उठा भी नहीं सकता था। लेकिन मेरे दोस्तों को पत्थरों से कोई मतलब नहीं था, वे पत्थरों को छोड़कर चले गए। उस दिन मुझे महसूस हो रहा था कि मेरे दोस्त कितने त्यागी हैं। लेकिन पत्थर सिर्फ मेरे लिए मूल्यवान थे, उनके लिए फालतू। बड़े होने पर समझ में आया कि पत्थरों का कोई मूल्य नहीं। अब मैं परमात्मा का चिंतन नहीं छोड़ पा रहा हूं। अधिकारी बोला, मैं कुछ समझा नहीं। संत बोले, जिस दिन तुम नशे को अर्थहीन समझने लगोगे, उसी दिन सिगरेट अपने आप छूट जाएगी।

नशे की लत Reviewed by on . नदी के तट पर कुटिया में एक संत रहते थे। किसी कंपनी का एक अधिकारी संत के पास पहुंचा। संत नदी के किनारे रेत पर टहल रहे थे। अधिकारी बोला - मैं सिगरेट छोड़ना चाहता नदी के तट पर कुटिया में एक संत रहते थे। किसी कंपनी का एक अधिकारी संत के पास पहुंचा। संत नदी के किनारे रेत पर टहल रहे थे। अधिकारी बोला - मैं सिगरेट छोड़ना चाहता Rating:
scroll to top