नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। रटंत प्रणाली जहां लंबे समय से देश में शिक्षा के विकास की बड़ी बाधा रही है, वहीं कई समूह इस समस्या का निदान करने में जुटे हुए हैं।
नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। रटंत प्रणाली जहां लंबे समय से देश में शिक्षा के विकास की बड़ी बाधा रही है, वहीं कई समूह इस समस्या का निदान करने में जुटे हुए हैं।
एक्सपेरीफन के संस्थापक राकेश कुमार ने आईएएनएस से कहा, “हमारी प्रयोगशालाएं बच्चों को किताब में लिखी बातों को साबित करने के लिए प्रेरित करती हैं, न कि अपनी ओर से कुछ खोजने के लिए या पुरानी धारणाओं को चुनौती देने के लिए।”
एक्सपेरीफन की स्थापना 2012 में हुई थी। यह संस्था विभिन्न पाठ्यक्रमों के तहत विज्ञान की अवधारणाओं को सीखने के लिए इन्नोवेटिव उत्पाद उपलब्ध कराती है।
12वीं कक्षा के स्तर पर काम करने वाली स्टार्टअप कंपनी ज्ञान लैब की संस्थापक प्रियादीप सिन्हा ने कहा कि आज की शिक्षा अधिक से अधिक उपयोग आधारित होनी चाहिए।
सिन्हा ने कहा, “परीक्षा में 90 फीसदी अंक हासिल करना उद्देश्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि आप यदि पढ़ी हुई बातों का उपयोग नहीं कर सकते, तो आप उनसे पिछड़ जाएंगे, जिन्होंने उतने अच्छे अंक हासिल नहीं किए हों, लकिन जो अपने ज्ञान का बेहतर उपयोग कर सकते हैं।”
टीमलीज सर्विसेज द्वारा 2007 के लिए तैयार भारत श्रम रिपोर्ट के मुताबिक, 90 फीसदी रोजगार अवसरों में व्यावसायिक कुशलता की जरूरत होती है, जबकि कॉलेज और स्कूल से निकलने वाले 90 फीसदी विद्यार्थियों के पास सिर्फ किताबी ज्ञान होते हैं और 57 फीसदी भारतीय युवा किसी न किसी स्तर पर बेरोजगारी से प्रभावित रहते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “व्यावहारिक नजरिया अपनाया जाना चाहिए, जिसका झुकाव समस्या समाधान पर अधिक होना चाहिए न कि बिना समझे रटने पर।”
ज्ञान लैब और एक्सपेरीफन की तरह दूसरे संस्थान भी हैं, जो बच्चों को ज्ञान का उपयोग करने का प्रशिक्षण देते हैं। नई दिशा और थिंकलैब्स ऐसे ही कुछ अन्य संस्थान हैं।
हैदराबाद के सीड स्कूल्स के संस्थापक और निदेशक मनीष कुमार ने आईएएनएस से कहा, “पिछले एक साल से हम एक्सपेरीफन के विज्ञान किट का अपने स्कूल में उपयोग कर रहे हैं। विज्ञान विषय में विद्यार्थियों में रुचि और समझ में सुधार हुआ है, क्योंकि वे किताबी ज्ञान का वास्तविक जीवन में उपयोग से संबंध स्थापित कर सकते हैं।”