सासाराम (बिहार), 18 जनवरी (आईएएनएस)। बिहार के नक्सल प्रभावित जिले रोहतास में एक महिला पिछले 10 वर्षो से निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने में जुटी हुई हैं। शिक्षा का उजियारा फैलाने वाली सुनीता देवी को उनकी शिष्याएं ‘गुरु दीदी’ कहती हैं। वह कविताएं भी रचती हैं और अपनी रचनाओं के जरिए महिलाओं को जागरूक करने का प्रयास करती हैं।
सुनीता रोहतास प्रखंड के बकनौरा गांव की रहने वाली हैं। वह निर्धन महिलाओं को साक्षर बनाने के साथ उन्हें स्वावलंबी बनने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं।
गुरु दीदी अपनी ‘आदर्श गृहलक्ष्मी मुफ्त विद्यादान योजना’ के तहत गांव की महिलाओं को मुफ्त शिक्षा दे रही हैं। इस कारण गांव वालों ने सुनीता को ‘लक्ष्मी’ नाम से भी पुकारने लगे हैं।
बीए पास सुनीता ने आईएएनएस को बताया कि विवाह के बाद जब वह अपनी ससुराल बकनौरा गांव आईं तब उन्हें महिलाओं का निरक्षर होना खलने लगा। जल्द ही उन्होंने यहां के लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना शुरू किया।
सुनीता कहती हैं, “शुरुआत में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे गांव के लोगों को उनकी बात समझ में आने लगी। इसके बाद तो गांव के लोग खुद ही उनकी योजना से जुड़ते चले गए।”
वे बताती हैं “लोगों को खासकर महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के बाद उन महिलाओं को साक्षर बनाने लगी। घर का कामकाज करने के बाद वे महिलाओं को पढ़ाती हैं।”
प्रारंभ में तो उसने घर-घर जाकर शिक्षा का अलख जगाया परंतु अब बजाब्ता गांव के ही एक घर में विद्यालय खोल रखा है, जहां सुबह-शाम महिलाएं पढ़ने आती हैं। यही नहीं सुनीता महिलाओं और लड़कियों को आत्मरक्षा के प्रति भी जागरूक करती हैं। दुष्कर्म जैसी घटनाओं को लेकर सुनीता ने कई गीत लिखे हैं, जिन्हें गांव के सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं को सुनाया जाता है।
सुनीता से शिक्षा ग्रहण कर चुकी 40 वर्षीय सुषमा देवी कहती हैं “पहले उन्हें अक्षर ज्ञान तक नहीं था परंतु अब प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत बैंक में जो खाता खुलवाई हैं उसमें वे हस्ताक्षर की हैं।”
उन्होंने खुद बताया, “गांव के लोग मुझे लक्ष्मी भी कहने लगे हैं और जो महिलाएं पढ़ने आती हैं, वे गुरु दीदी कहती हैं।”
सुनीता इस वर्ष महिला दिवस (8 मार्च) के मौके पर महिला जागरूकता यज्ञ का भी आयोजन करने जा रही हैं। वैसे सुनीता इन कार्यो के पीछे अपने पति और परिवार के प्रोत्साहन को नहीं भूलतीं। वह कहती हैं कि इन कार्यो में उनके परिवार का अहम योगदान है।
सुनीता के पति रमेश प्रसाद वैद्य भी सुनीता के मन में महिलाओं और लड़कियों के प्रति प्रेम को सम्मान की नजर से देखते हैं।
इधर, गांव के आसपास के अन्य गांवों में भी सुनीता के इस कार्य की प्रशंसा हो रही है। बकनौरा पंचायत के मुखिया अवध बिहारी सिंह कहते हैं, “केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भले ही यहां की महिलाओं को नहीं मिल रहा हो, लेकिन हमारे गांव की लक्ष्मी की योजना से गांव की महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं।”
उन्होंने बताया कि सुनीता से अन्य गांवों के लोग भी ऐसा विद्यालय चलाने का अनुरोध कर रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।