रायपुर/जगदलपुर, 17 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। एक ओर पूरा देश जहां आजादी के जश्न में डूबा हुआ था, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में बस्तर के सुरनार इलाके में एक गांव नक्सलियों के काले दिन के आगोश में था। वहां हथियार से लैस सैकड़ों नक्सलियों ने स्कूल परिसर को चारों ओर से घेर लिया, तिरंगा नहीं फहराने दिया। उन्होंने काला झंडा फहराया और क्रांतिगीत गाए।
रायपुर/जगदलपुर, 17 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। एक ओर पूरा देश जहां आजादी के जश्न में डूबा हुआ था, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में बस्तर के सुरनार इलाके में एक गांव नक्सलियों के काले दिन के आगोश में था। वहां हथियार से लैस सैकड़ों नक्सलियों ने स्कूल परिसर को चारों ओर से घेर लिया, तिरंगा नहीं फहराने दिया। उन्होंने काला झंडा फहराया और क्रांतिगीत गाए।
बस्तर के नकुलनार ब्लॉक व पुलिस थाने से महज 12 किलोमीटर दूर बसे सुरनार गांव के शासकीय स्कूल में स्वतंत्रता दिवस मनाए जाने के दौरान बड़ी संख्या में सशस्त्र नक्सलियों ने स्कूल में दबिश देकर आजादी के दिन को काले दिन में परिवर्तित कर दिया और सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति के बीच जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों को हथियार के बल पर काला झंडा रोहण करने को विवश कर दिया।
शिक्षकों के समझाने के बाद भी नक्सलियों ने अपनी हठ नहीं छोड़ी और माओवादी विचारधारा को अपनाने का दबाव बनाते रहे। नक्सलियों ने जहां पर इस वारदात को अंजाम दिया, वहां से महज 200 मीटर की ही दूरी पर सीआरपीएफ का एक कैम्प स्थित है, जिसकी परवाह भी नक्सलियों ने नहीं की।
वहीं दूसरी ओर, प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे। नक्सलियों ने ग्रामीणों पर दबाव बनाकर भारतीय ध्वज को ही नहीं रोका, बल्कि उसके स्थान पर काला झंडा फहराया व माओवादी गीत गाकर काले झंडे का सम्मान भी किया।
इस सनसनीखेज वारदात ने एक बार फिर सरकारी दावों की पोल खोल दी है। बस्तर में नक्सलियों की समानांतर सरकार होने के दावों को सरकार हमेशा नकारती रही है। सरकार बस्तर में नक्सलियों के कमजोर पड़ने की और नक्सलवादियों के जादू के टूटने के दावे करती आई है, पर इस वारदात ने तो एक बार नक्सलियों के उस इलाके पर प्रभाव का प्रमाण दे दिया है।
नक्सली बस्तर में बार-बार वरदात कर अपने बुलंद हौसलों का सबूत तो दे ही रहे हैं, साथ ही वे ये बताने से भी नहीं चूक रहे हैं कि उन्हें सरकार की, सुरक्षा बलों की रत्ती भर भी परवाह नहीं है। वे अपना वर्चस्व बनाये रखने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि पुलिस वहां पूरे दमखम से नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुई है, पर सूचना तंत्र की कमजोरी और स्थानीय लोगों के सहयोग का अभाव उनके अभियान को अपेक्षित नतीजा नहीं दे पा रहा है।
बस्तर मे काला दिवस मनाने औए एक स्कूल में काला झंडा फहराने के बारे में दंतेवाड़ा एएसपी जी.एस. बघेल का कहना है कि कुआकोंडा के सरहदी इलाकों में छुटपुट घटनाओं की खबर है। सूचना मिलते ही पार्टियां रवाना कर दी गईं। सुरक्षा के लिहाज से तगड़े इंतजाम किए गए थे।