श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के तहत धारी देवी मंदिर अपलिफ्टिंग मामले में नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय गुरुवार को सात दिन पहले मंदिर के अपलिफ्टिंग पर लगाई रोक हटाने पर तैयार हो गया।
बीती 13 मई को सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर का अपलिफ्टिंग प्रस्तावित था, लेकिन इससे पहले ही केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 10 मई को अपलिफ्टिंग के साथ ही वहां चल रहे तमाम निर्माण कार्यो पर भी रोक लगा दी थी। इस बाबत मंत्रालय के स्तर पर श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की निर्माणदायी कंपनी को लिखित आदेश जारी भी कर दिए गए थे। दरअसल, श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ करने के लिए धारी मंदिर को अफलिफ्ट किए जाने की योजना है।
पर्यावरण मंत्रलय के फैसले के खिलाफ निर्माणदायी कंपनी अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एएचपीसी) ने उसी दिन यानि 10 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।
गुरुवार को इस मामले में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्ण और दीपक मिश्र की दो सदस्यीय खंडपीठ ने पर्यावरण मंत्रालय से मंदिर के अपलिफ्टिंग पर रोक लगाने का कारण पूछा। केंद्र सरकार की तरफ से कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका को इसका कारण बताया गया। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को रोक वापस लेने अन्यथा कोर्ट से रोक निरस्त करने की बात कही। इस पर पर्यावरण मंत्रालय रोक हटाने पर तैयार हो गया। गौरतलब है कि बांध का 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है और क्षेत्रीय लोग बांध का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।