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 धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण

0,,16701588_303,00चाहे हिंदू हों, ईसाई, मुसलमान या फिर बौद्ध. सभी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं. सभी के धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण की बात कही गई है. हिंदू दर्शन के मुताबिक ब्रह्मांड की रचना करने वाला कोई व्यक्ति या एक कहानी नहीं है. इसके अनुसार जन्म और मृत्यु के चक्र में सभी गुंथे हुए हैं. चाहे आत्मा हो, शरीर, दृश्य या अदृश्य सबका इस चक्र में महत्व है.कुरान धर्मावलंबियों को विस्तार से और ठोस निर्देश देती है. कुरान में कई जगह पर प्रकृति से व्यक्ति के संबंध को बताया गया है. जीवन का प्राकृतिक चक्र बना रहना चाहिए, जो भी कुछ ले रहा है, उसे लौटाना जरूरी है.0,,16701580_303,00 भगवद् गीता में कर्मयोग के तीसरे अध्याय का 12वां श्लोक कहता है, ‘ईश्वर त्याग (यज्ञ) से प्रसन्न हो लोगों की इच्छाएं पूरी करते हैं. जो लोग इनका उपयोग तो करते हैं लेकिन लौटाते कुछ नहीं, वह चोर हैं.’ बौद्ध धर्म में भी माना जाता है कि प्रकृति और इंसान एक दूसरे पर निर्भर हैं. जिसे भी ज्ञानबोध या मुक्ति चाहिए उसे महसूस करना होगा कि उसमें और दूसरे प्राणियों में कोई फर्क नहीं है. जन्म और मृत्यु का चक्र तभी तोड़ा जा सकता है जब ज्ञान प्राप्त कर साधक निर्वाण की स्थिति में पहुंच जाए. 0,,16693381_303,00पाली त्रिपिटक में कहा गया है कि प्रकृति में पाई जाने वाली सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हैं. अगर यह है तो वह भी होगा. इसके साथ वह भी आएगा. अगर ये नहीं होगा तो वह भी नहीं. इसके खत्म होने के साथ उसका भी अंत होगा.0,,16693361_303,00आदम और हव्वा स्वर्ग के बगीचे, ईडेन गार्डन में ईसाई और यहूदी दोनों का मानना है कि भगवान ने अपनी रचना को बचाने का काम इंसान को दिया है. जेनेसिस में कहा गया है, ईश्वर ने पुरुष को ईडेन में काम करने और देखभाल करने के लिए रख दिया. ईश्वर ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा, ‘सफल रहो और अपनी संख्या बढ़ाओ. धरती को भर दो, उसे अपने कब्जे में ले लो. सागर की मछली, हवा में उड़ती चिड़िया और वहां पाए जाने वाले हर प्राणी को अपने अधीन कर लो.’ जेनेसिस.मूसा की पहली किताब में सृष्टि की रचना की कहानी है. इसे तोराह कहते हैं. ईसाई और यहूदी धर्मग्रंथों में मुख्य विचार एक जैसे ही हैं. रचना की कहानी बाइबिल के ओल्ड टेस्टामेंट का केंद्रीय हिस्सा है. जिसमें यहूदी बाइबिल के हिस्से हैं. बाइबिल दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने और छपने वाली किताब है.अपने मानने वालों से इस्लाम भी अल्लाह की रचना को बचाने को कहता है. मनुष्य को अल्लाह की रचना का इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन सावधानी से. कुरान का सूरा ए रहमान कहता है कि किस तरह खुदा ने सूरज, चांद और आसमान की गति निर्धारित की है. उसी ने पेड़ पौधे बनाए हैं. उसने ही संतुलन तय किया. कुरान धर्मावलंबियों को विस्तार से और ठोस निर्देश देती है. कुरान में कई जगह पर प्रकृति से व्यक्ति के संबंध को बताया गया है.0,,16701567_303,00अपने मानने वालों से इस्लाम भी अल्लाह की रचना को बचाने को कहता है. मनुष्य को अल्लाह की रचना का इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन सावधानी से. कुरान का सूरा ए रहमान कहता है कि किस तरह खुदा ने सूरज, चांद और आसमान की गति निर्धारित की है. उसी ने पेड़ पौधे बनाए हैं. उसने ही संतुलन तय किया.

धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण Reviewed by on . चाहे हिंदू हों, ईसाई, मुसलमान या फिर बौद्ध. सभी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं. सभी के धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण की बात कही गई है. हिंदू दर्श चाहे हिंदू हों, ईसाई, मुसलमान या फिर बौद्ध. सभी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं. सभी के धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण की बात कही गई है. हिंदू दर्श Rating:
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