इंदौर। रेलवे यार्ड के पास शनिवार को इंसानियत एक बार फिर शर्मशार हुई… जीआरपी और आरपीएफ का अमानवीय चेहरा फिर सामने आया। एक के बाद एक दो ट्रेन से कटे युवक की लाश के खून से सने टुकड़ों को बीनने के लिए पुलिसकर्मियों ने 14 साल के बच्चे को न केवल मजबूर किया बल्कि जब वह डरा… सहमा और एतराज जताया तो उसे धमकाया भी। पुलिस के खौफ से सहमे बच्चे ने मांस के टुकड़ों को आंखें मंूदते हुए समेटा।
घटना सुबह करीब दस बजे की है। श्यामाचरण शुक्ला नगर निवासी 30 वर्षीय धनराज पिता नंदकिशोर नायक यार्ड के पास से पटरी पार कर रहा था, तभी वह इंदौर-उदयपुर ट्रेन की चपेट में आ गया। ट्रेन के पहियों से उसके शरीर के टुकड़े हो गए। सूचना मिलने पर शासकीय रेलवे पुलिस के एएसआई जेपी शुक्ला, सिपाही दिलीप चौधरी व आरपीएफ का एक सिपाही मौके पर तो पहुंचे लेकिन लाश के टुकड़े उठा लें, ऎसी हिम्मत नहीं हुई। दिल दहला देने वाले दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ तो जरूर लगी लेकिन लाश के टुकड़ों को उठाने के लिए कोई आगे नहीं आया।
पुलिस वालों का कलेजा काम नहीं आया तो उन्होंने 14 साल के संजय नाम के एक बच्चे को बुलाया। वह डरा… सहमा। उसने एतराज जताया, लेकिन जब एएसआई समेत तीनों ने आंखें दिखाई तो बच्चे ने आंखें मंूदकर कटे पैर उठाकर थैले में डाले। उसके हाथ खून से सन गए। एक सिपाही ने जरूर आखिरी वक्त पर लाश के बड़े हिस्से को उठाने में मदद की। जैसे ही लाश का आखिरी टुकड़ा बच्चे ने थैले में डाला, वह बिना कुछ बोले वहां से भाग गया।
इस मामले में डीएसपी को जांच करने के निर्देश दिए हैं। यदि पुलिसकर्मी दोषी पाए गए तो उन पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। -आरसी बुर्रा, रेलवे एसपी
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