पुणे, 3 जनवरी – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारतीय बैंक जगत से आह्वान किया कि देश में विश्वस्तरीय बैंक स्थापित किए जाएं और ये दुनिया के शीर्ष बैंकों में गिने जाएं। बैंक सेक्टर को देश की अर्थव्यवस्था और विकास का आईना करार देते हुए मोदी ने रेखांकित किया कि जपान और चीन की आर्थिक प्रगति के दौरान उनके पास विश्वस्तरीय बैंक थे जो शीर्ष 10 में गिने जाते थे।
दो दिवसीय बैंकर्स रिट्रीट ‘ज्ञान संगम’ के समापन समारोह में प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि बैंक पेशेवर तौर से चलाए जाएंगे और इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, लेकिन जवाबदेही आवश्यक है।
मोदी ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर के साथ सरकार का कोई हित निहित नहीं है और सार्वजनिक बैंक इससे शक्ति हासिल कर सकते हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2022 में देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश के सरकारी बैंकों को लक्ष्यों को निर्धारित करने की जरूरत है।
बैंकों से सफलता के मानदंडों को पुन: परिभाषित करने का आह्वान करते हुए मोदी ने कहा कि वे उद्यमों को ऋण देने की प्राथमिकता दे सकते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा रोजगार के मौके उपलब्ध होंगे। साथ हो छात्रों को दिए जाने वाले शिक्षा ऋण को महत्व दिया जाए, क्योंकि वे भारत जैसे देश के लिए सबसे उत्पादक निवेश साबित होंगे और भारत को युवाओं के कौशल में विकास करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “हम राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ हैं, लेकिन लोगों के हित में राजनीतिक हस्तक्षेप का समर्थन करते हैं।”
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों से उन्होंने आग्रह किया कि वे सॉफ्टवेयर तथा विज्ञापन के क्षेत्र में आपस में आम शक्ति का विकास करें।
मोदी ने कहा, “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस बात के प्रति सतर्क रहना चाहिए कि देश किस दिशा में जा रहा है और आम आदमी की सुविधा के लिए कार्यविधि को आसान बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।”