नई दिल्ली, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय फुटबाल टीम का कोच कौना होगा, इस विषय को लेकर हर कोई अपनी राय दे रहा है। कोई कह रहा है कि कोच विदेशी होना चाहिए तो कोई कह रहा है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ऐसे में भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया का कहना कि कोच की राष्ट्रीयता से कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है कोच की प्रोफाइल से।
नई दिल्ली, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय फुटबाल टीम का कोच कौना होगा, इस विषय को लेकर हर कोई अपनी राय दे रहा है। कोई कह रहा है कि कोच विदेशी होना चाहिए तो कोई कह रहा है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ऐसे में भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान बाईचुंग भूटिया का कहना कि कोच की राष्ट्रीयता से कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है कोच की प्रोफाइल से।
भूटिया ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा कि कोच देशी हो या विदेशी, उसकी प्रोफाइल सबसे महत्वपूर्ण है।
भूटिया ने कहा, “यह इस बार पर निर्भर करता है कि व्यक्ति का प्रोफाइल कैसा है। भारतीय हो या विदेशी हो, सवाल यह नहीं है। यह मायने रखता है कि उसने किस तरह का काम किया है।”
भारत के पूर्व स्टार खिलाड़ी का कहना है कि भारतीय और विदेशी कोच के स्तर को लेकर बहस करना उनके लिए मुश्किल है और इस पर लिए जाने वाले निर्णय को कोच के देश से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
भूटिया ने कहा, “यह कहना बहुत मुश्किल है कि मैं विदेशी या किसी भारतीय कोच को पसंद करता हूं। यह निर्णय केवल कोच के अनुभव और क्षमता को देखकर लिया जाना चाहिए. किसी और बात को देखकर नहीं।”
अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने चार दशकों के बाद थाईलैंड में होने वाले किंग्स कप के आगामी संस्करण में भाग लेने का फैसला किया है। भारत ने आखिरी बार 1977 में टूर्नामेंट में भाग लिया था और टीम का कोच कौना होगा यह फिलहाल प्राथमिकता में सबसे ऊपर है।
एआईएफएफ ने पहले ही वित्तीय बाधाओं के कारण एक हाई-प्रोफाइल कोच को नियुक्त करने की अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी है और भूटिया के बयान के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम को कोच किसे चुना जाता है।