रविवार 18 अगस्त को खेलकूद केंद्र लुझनिकी में उसका समापन समारोह संपन्न हुआ। चैंपियनशिप के प्रबंधकों ने अंतर्राष्ट्रीय एथलेटिक्स संघ के बैनर को बीजिंग के प्रतिनिधियों को सौंपा जहाँ सन् 2015 में अगला विश्व चैंपियनशिप संपन्न होगा। वर्तमान मास्को चैंपियनशिप में रूसी टीम को पदक तालिका में पहला स्थान मिला है। उस ने कुल 17 पदक जीते जिन में 7 स्वर्ण पदक शामिल हैं। अमरीका और जमैका की टीमों को छहः छहः स्वर्ण पदल मिले।
मास्को चैंपियनशिप में कोई विश्व रिकोर्ड नहीं कायम किया गया। लेकिन राष्ट्रीय स्तर के और व्यक्तिगत रिकोर्डों की कोई कमी नहीं थी। ऐसे रिकोर्ड फाइनल प्रतियोगिताओं में ही नहीं बल्कि क्वालीफाइंग प्रतियोगिताओं में भी कायम किये गये।
उदाहरण के लिये संसार में सबसे तेज़ धावक माने जानेवाले जमैका के उसैन बाल्ट ने 100 और 200 माटर की दौड़ प्रतियोगिताओं और 4 गुणा सौ मीटर की रिले दौड़ में स्वर्ण पदक जीते। 100 मीटर की दौड़ के फाइनल में उन्होंने एक शो पेश किया। दौड़ के शुरू में कुछ देर लगाकर उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को आगे बढ़ने दे दिया लेकिन आधा फासला तय करने के बाद उसैन बाल्ट ने सभी धावकों को पीछे छोड़ दिया और इस प्रकार स्वर्ण पदक जीत लिया।
लुझनिकी के बड़े खेल मैदान में सबसे अधिक दर्शक उसी दिन जमा हो गये जब येलेना इसिंबायेवा ने पोल वाल्ट प्रतियोगिता में भाग लिया। यह कोई संयोग की बात नहीं है कि येलेना का चित्र एथलेटिक्स के 14वें विश्व चैंपियनशिप के औपचारिक बैनर पर अंकित है। दो बार विश्व चैंपियन बनी 28 वर्षीय येलेना ने मास्को चैंपियनशिप के बाद अपने कैरियर में एक ब्रेक लेने का फैसला किया है। उन्होंने इस चैंपियनशिप में अपनी विजय को अपने कैरियर में सबसे महत्वपूर्ण बताया।
येलेना इसिंबायेवा ने कहा – एथेंस से लेकर बीजिंग तक सभी खेल प्रतियोगिताएँ मेरे लिये बहुत कठिन नहीं थीं। मुझे सभी प्रतियोगिताओं में सफलता मिलती रही। मैं विश्व रिकोर्ड कायम करती रहीं। मुझे पराजय जैसा शब्द मालूम तक नहीं था। लेकिन आज स्वर्ण पदक जीतकर मैं कहना चाहती हूँ कि यह मेरे कैरियर में सबसे मूल्यावान पदक है। क्योंकि बीजिंग के बाद मास्को चैंपियनशिप तक मुझे बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा। अनेक बार मेरी पराजय हुई थी और अनेक बार चोटें भी लगीं। मुझ में आत्मविश्वास नहीं रहा था। अब मैं बेहद खुश हूँ कि अपने कौच येवगेनी त्रोपीमोव से मिलकर मैं ने सभी को दिखाया कि इसिंबायेवा का युग फिर से शुरू हो गया है।
प्रबंधकों को आशंका थी कि मास्को वासी बड़े बड़े खेल प्रतियोगिताओं के आदी हो चुके हैं और वर्तमान चैंपियनशिप में आनेवाले दर्शकों की संख्या ज्यादा बड़ी नहीं होगी। लेकिन ये आशंकाएं गलत साबित हुईं और दर्शखों की कोई कमी नहीं थी।
उन लोगों की निराशावादी भविष्यवाणियाँ भी गलत साबित हुईंजिन्होंने कहा था कि कज़ान के यूनिवर्सिटी खेलों में रूसी एथलीटों के सफल प्रदर्शन के बाद तैराकी और एथलेटिक्स के विश्व चैंपियनशिपों में राष्ट्रीय टीम को इतनी सफलता नहीं मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टिकट दर्ज करनेवाली इलेक्ट्रोनिक सिस्टम के अनुसार आठ दिनों के दौरान शाम की प्रतियोगिताओं में रूसी एथलीटों का समर्थन करने के लिये 2 लाख 68,5 हज़ार खेल प्रेमी आये थे। अगर पत्रकारों और औपचारिक प्रतिनिधि मंडलों को ध्यान में रखा जाये तो दर्शकों की कुल संख्या लगभग चार लाख थी। ज़रा तुलना कीजिये, दक्षिण कोरिया के टैगु में संपन्न पिछले विश्व चैंपियनशिप में शाम के कार्यक्रमों में आनेवाले दर्शकों की संख्या लगभग 2 लाख 62 हज़ार थी।