नई दिल्लीः इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर की हैकिंग के शिकार या संभावित निशाने पर रहे सात देशों के 17 पत्रकारों ने रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) के साथ मिलकर एनएसओ ग्रुप के खिलाफ फ्रांस की राजधानी पेरिस में शिकायत दर्ज कराई है.
आरएसएफ ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र के पास भी संज्ञान के लिए भेजा है.
आरएसएफ और मोरक्को-फ्रांस के दो पत्रकारों ने 20 जुलाई को पेरिस में संयुक्त शिकायत दर्ज कराते हुए पत्रकारों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को पहचानने का आह्वान किया है.शिकायत दर्ज कराने वाले कुल 17 पत्रकारों में से दो अजरबैजान, पांच मेक्सिको, पांच भारत, एक स्पेन, दो हंगरी, एक मोरक्को और एक टोगो से है.
भारत से द वायर के सह-संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन और एमके वेणु, वरिष्ठ पत्रकार सुशांत सिंह (जो वायर के लिए लिखते भी हैं.), भारत में आरएसएफ के संवाददाता शुभ्रांशु चौधरी और 2018 में साहसिक पत्रकारिता के लिए आरएसएफ प्रेस फ्रीडम पुरस्कार जीतने वाली स्वाति चतुर्वेदी ने शिकायत दर्ज कराई है.
द वायर ने खुलासा किया था कि पेगासस सर्विलांस की संभावित लक्ष्यों की लीक सूची में 40 से अधिक भारतीय पत्रकारों के फोन नंबर मौजूद थे. फॉरेंसिक जांच में पुष्टि हुई है कि सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु और सुशांत सिंह के फोन नंबर भी इस सूची में थे.
स्वाती चतुर्वेदी का फोन नंबर भी इस सूची में था, जिससे उनके संभावित सर्विलांस का शिकार होने का पता चलता है.
भारत में द वायर और एमनेस्टी इंटरनेशनल सिक्योरिटी लैब को जिन पांच पत्रकारों के नाम इस संभावित हैकिंग सूची में मिले, उन्होंने तीन अलग-अलग याचिकाओं के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की है.
आरएसएफ की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, ‘कुछ पत्रकारों की विदेशी सरकारें भी जासूसी करा रही थीं. इनमें स्पेन के इग्नैसियो केम्बरेरो भी शामिल हैं, जो मोरक्को के निशाने पर थे और जिनकी लगभग-लगभग जासूसी की जा रही थी.’
आरएसएफ के प्रवक्ता पॉलिन एडेस-मेवेल ने कहा, ‘इन पत्रकारों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों में एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा की गई सर्विलांस की पुष्टि की गई है.’
उन्होंने कहा कि ये पत्रकार हर महाद्वीप से हैं.
प्रवक्ता ने कहा, ‘जांच में उन सभी लोगों की पहचान करनी चाहिए, जो इसमें शामिल थे, फिर चाहे वह कंपनी के कार्यकारी अधिकारी हो या संबंधित देशों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी. एक ऐसे स्कैंडल में जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता को खामियाजा भुगतना पड़े, किसी तरह का संदेह नहीं रहना चाहिए. इस पर्दे को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए और न्याय मिलना चाहिए.’
आरएसएफ ने इन 17 पत्रकारों के मामलों को संयुक्त राष्ट्र के चार विशेष प्रतिवेदकों के पास भेजा है. विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निजता के अधिकार, मानवाधिकार रक्षक और आतंकवाद का सामना करते हुए मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले प्रतिवेदकों ने इनसे पत्रकारों की पेगासस के जरिये जासूसी करने वाली सरकारों से जवाब मांगने को कहा है.
इसके अलावा आरएसएफ ने पेगासस जैसे स्पायवेयर के निर्यात, बिक्री और इस्तेमाल पर सख्त अंतरराष्ट्रीय नियमन और इस तरह के सॉफ्टवेयर की बिक्री पर अंतरराष्ट्रीय रोक लगाने की मांग की है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से मामले की जांच और स्पायवेयर की बिक्री और इस्तेमाल पर हरसंभव प्रकाश डालने के लिए एक व्यवस्था अपनाने को कहा है.
जिन 19 पत्रकारों ने आरएसएफ के साथ फ्रांस में शिकायत दर्ज कराई है, उनमें मोरक्को के माती मोन्जिब, उमर ब्राउस्की, हिचाम मंसूरी, अजरबैजान की सेविंस अभाससोवा, मुशफिग जब्बार, स्पेन के इग्नैसियो केम्बरेरो, हंगरी से स्जाबोल्क्स पानयी, एंद्रास जाबो, भारत से स्वाति चतुर्वेदी, सुशांत सिंह, सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, शुभ्रांशु चौधरी, टोगो से फर्डिनांद अयिते, मेक्सिको से मारसेला तुराती, एलेक्जेंडर जैनिक वॉन बेट्राब, इग्नैसियो रॉड्रिगेज रेयना, जॉर्ज कैरेस्को और एल्वारो डेल्गाडो हैं.
द वायर सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने लगातार पेगासस सर्विलांस को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की, जिनमें बताया गया कि केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों और कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीयों के मोबाइल नंबर उस लीक किए गए डेटाबेस में शामिल थे जिनकी पेगासस से हैकिंग की गई या वे संभावित रूप से निशाने पर थे.
द वायर ने फ्रांस की गैर-लाभकारी फॉरबिडन स्टोरीज और अधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित द वॉशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन और ल मोंद जैसे 16 अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के साथ मिलकर ये रिपोर्ट्स प्रकाशित की.
यह जांच दुनियाभर के 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबर पर केंद्रित थी, जिनकी इजरायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर के जरिये सर्विलांस की जा रही थी. इसमें से कुछ नंबरों की एमनेस्टी इंटरनेशनल ने फॉरेंसिक जांच की है, जिसमें ये साबित हुआ है कि उन पर पेगासस स्पायवेयर से हमला हुआ था.