नई दिल्ली- दिल्ली के कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल में कथित तौर पर मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों द्वारा बताई गई खांसी की दवा (सीरप) का सेवन करने के बाद तीन बच्चों की मौत हो गई.
इस मामले में दिल्ली सरकार ने तीन डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं और मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
इस घटना को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे और पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की है.
इन बच्चों में से एक की उम्र तीन साल थी, जिसकी कथित तौर पर मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टरों द्वारा बताई गई खांसी की सीरप पीने के बाद मौत हो गई थी. उसे कलावती सरन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. एक बच्चे की मौत 13 अक्टूबर को और अन्य दो की भी उसी महीने मौत हो गई थी.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कलावती सरन अस्पताल में डेक्सट्रोमेथॉर्फन विषाक्तता के 16 मामले सामने आए हैं, जिनमें से तीन बच्चों की मौत हुई है.
अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया, ‘अधिकतर बच्चों ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की. मरने वाले तीनों बच्चों की हालत बेहद खराब थी.’
स्वास्थ्य मंत्री जैन ने बताया कि दिल्ली सरकार ने आरोपी तीनों डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी है. मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘कुछ दिनों पहले दवा के साइड इफेक्ट की वजह से कलावती सरन अस्पताल में तीन बच्चों की मौत हो गई. जैसे ही हमें इसके बारे में पता चला, हमने आरोपी तीनों डॉक्टरों की सेवाओं को समाप्त कर दिया और जांच के आदेश दिए हैं.’
जैन ने कहा, ‘मौतें बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं और मामले की तह तक जाने के लिए उचित जांच की जाएगी. दिल्ली सरकार ने जांच के लिए दिल्ली मेडिकल काउंसिल को पत्र भी लिखा है. सरकार ने सीडीएमओ डॉ. गीता के नेतृत्व में एक जांच समिति भी गठित की है, जिसे सात दिन में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है.’
एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने एक जुलाई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार को मामले की सूचना दी थी. मंत्रालय ने अक्टूबर के अंत में मामले की जांच शुरू कर दी थी.
बता दें कि डेक्सट्रोमेथॉर्फन व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले कफ सप्रेसेंट्स में से एक है. दवा की उच्च खुराक लेने से अनिद्रा, चक्कर आना, मतली, बेचैनी और दस्त आदि भी हो सकते हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के डॉ. सुनील कुमार ने सात दिसंबर को दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर डिस्पेंसरियों और मोहल्ला क्लीनिकों में डॉक्टरों को चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए डेक्सट्रोमेथॉर्फन को प्रेस्क्राइब करने से रोकने को कहा था.
डॉ. कुमार ने यह भी सुझाव दिया था कि दिल्ली सरकार को जनहित में ओमेगा फार्मा द्वारा निर्मित दवाओं को वापस लेना चाहिए.
पत्र में कहा गया, ‘सूचित किया जाता है कि कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल में डेक्सट्रोमेथॉर्फन प्वॉइजनिंग के 16 मामले सामने आए थे, जिनमें से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. इन बच्चों को दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक द्वारा डेक्सट्रोमेथॉर्फन दवा प्रेस्क्राइब की गई थी और इस दवा को 12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाए.’
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि अत्यधिक प्रचारित विश्वस्तरीय मोहल्ला क्लीनिकों का कड़वा सच सबके सामने आ गया है. उन्होंने केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे और पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की.
आदेश गुप्ता ने कहा, ‘विश्व स्तरीय बहुप्रचारित मोहल्ला क्लीनिक की कड़वी सच्चाई सबके सामने आ गई है. अगर सरकार अगले 48 घंटों के भीतर कोई कार्रवाई नहीं करती है और मरने वालों के परिवारों को मुआवजा नहीं देती है, तो पार्टी केजरीवाल सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करेगी.’
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग करते हुए भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने एक ट्वीट में कहा, ‘अगर केजरीवाल मोहल्ला क्लीनिक पर वोट मांगते हैं तो उन्हें उन बच्चों की मौत की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, जिन्हें गलत दवाएं दी गई थीं.’