नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने साल 2005 में दिल्ली में हुए सीरियल विस्फोट मामले में गुरुवार को दो लोगों को बरी कर दिया, जबकि एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है। इन विस्फोटों में 60 से अधिक लोग मारे गए थे।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह ने आतंकवाद के आरोपों के तहत तारिक अहमद डार को दोषी करार दिया, जबकि उसे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, साजिश रचने, हथियार इकट्ठा करने, हत्या तथा हत्या के प्रयास के आरोपों से बरी कर दिया।
न्यायालय ने डार को जेल की जितनी सजा सुनाई है, वह उसे पहले ही भुगत चुका है, क्योंकि 10 नवंबर, 2005 को गिरफ्तारी के बाद से ही वह जेल में बंद है।
न्यायालय ने मोहम्मद हुसैन फाजिली तथा मोहम्मद रफीक शाह को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
अदालत ने 2008 में मामले के आरोपी तथा इसका मास्टरमाइंड कहे जा रहे डार तथा अन्य दो के खिलाफ देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, साजिश रचने, हथियार जुटाने, हत्या तथा हत्या के प्रयास के आरोप तय किए थे।
दिल्ली पुलिस ने डार के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। आरोप-पत्र में उसके कॉल डिटेल का जिक्र किया गया, जिससे कथित तौर पर यह साबित हुआ कि वह लश्कर-ए-तैयबा के अपने आकाओं के संपर्क में था।
पुलिस ने तीन जगहों सरोजिनी नगर, कालकाजी तथा पहाड़गंज में हुए विस्फोटों के सिलसिले में तीन अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की थीं।