नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की महापालिका से पूछा है कि शहर की सड़कों से सभी कूड़ेदान कहां गए और उसे निर्देश दिया है कि इसे लेकर दायर एक अर्जी पर विस्तृत जवाब दाखिल करे।
नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की महापालिका से पूछा है कि शहर की सड़कों से सभी कूड़ेदान कहां गए और उसे निर्देश दिया है कि इसे लेकर दायर एक अर्जी पर विस्तृत जवाब दाखिल करे।
न्यायमूर्ति बी. डी. अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की खंडपीठ ने ‘कूड़ेदानों की गुमशुदगी’ पर कड़ाई से ध्यान दिया और महापालिका से चार सप्ताह में राजधानी के सभी इलाकों में कूड़ेदान लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अवगत कराने के लिए कहा।
उच्च न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 4 मार्च तय कर दी।
इस संबंध में अर्जी शरद तिवारी एवं संजीव अग्निहोत्री ने दायर की है। अर्जी दायर करने वालों ने आरोप लगाया है कि उनके रिहाइश वाले इलाके से हाल ही में कूड़ेदान हटा लिए गए और यह काम पूरे शहर में हुआ है।
अर्जी में अदालत से नगर निकाय को राजधानी की हर सड़क पर कूड़ेदान मुहैया कराने का निर्देश देने का आग्रह किया। बताया गया है कि कूड़ा ढोने वाले ट्रकों में 70 प्रतिशत छिन्न-भिन्न और बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
अदालत ने इससे पहले नागरिक निकाय को यह बताने के लिए कहा था कि कूड़ेदानों से कचरा हटाने के काम में लगे ट्रकों की संख्या और क्या कचरा जमा करने और उसे निस्तारित करने के काम का चक्र है।
नई दिल्ली महापालिका परिषद (एनडीएमसी) ने अपने शपथ पत्र में कहा कि वह अपने इलाके में नगर निगम के ठोस कचरा प्रबंधन से संबंधित काम को कर रहा है।
निकाय ने कहा है कि उसने अपने इलाके में ‘घटाने, पुन: चक्रीय और पुन: इस्तेमाल’ के विचार के साथ दरवाजे-दरवाजे कचरा जमा करने का काम शुरू किया है। वर्तमान में अपने आप खाली करने वाले 11 ट्रक और घर-घर कचरा जमा करने के लिए चार यांत्रिक कंपैक्टरों को तैनात किया गया है।
एनडीएमसी ने कहा है कि उसके इलाके में पर्याप्त संख्या राज मिस्त्री के बनाए पक्का कूड़ा घर हैं।
शपथ पत्र में कहा गया है कि ‘हाल ही में लोहे की बनी 1275 नई कचरा ट्राली जिनकी क्षमता 1,100 लीटर है, उन्हें विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया है।’
शपथ पत्र में कहा गया है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत एनडीएमसी इलाके में साफ सफाई का नियमित काम चलता है, नियमित रूप से लोहे ट्रालियों को धोया जाता है, आवासीय कल्याण संघों से नियमित बातचीत या बैठकें होती रहती हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।