नई दिल्ली, 17 फरवरी (आईएएनएस)। राफेल लड़ाकू विमान विवाद के चरम पर पहुंचने के बाद मिसाइल बनाने वाली यूरोप की दिग्गज कंपनी एमबीडीए भारतीय जांच एजेंसियों के घेरे में आ गई है। एमबीडीए राफेल लड़ाकू विमान के लिए प्रमुख मिसाइल आपूर्तिकर्ता है और कंपनी 30 हजार करोड़ रुपये के ऑफसेट कार्यक्रम में शामिल है। ऑफसेट कार्यक्रम 36 युद्धक विमानों से जुड़ा है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कॉरपोरेट लॉबिस्ट दीपक तलवार से कंपनी के रिश्ते के संबंध में एमबीडीए के कंट्री हेड को जांच में शामिल होने के लिए समन जारी किया है।
सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक, तलवार की एमबीडीए में हिस्सेदारी है। उसे पिछले महीने दुबई से प्रत्यर्पित कर लाया गया था। ऐसा माना जाता है कि उसने संप्रग शासन के दौरान एयरबस के साथ कई सौदों में मुख्य भूमिका निभाई थी।
कई सूत्रों ने पुष्टि की है कि एमबीडीए के भारत प्रमुख लोइस पीडीवाचे को सोमवार को ईडी की दिल्ली शाखा में पेश होने को कहा गया है। सूत्रों ने दावा किया कि भारतीय बलों के साथ कंपनी के जुड़ाव पर सवालों के अलावा उससे तलवार के एनजीओ में भुगतान पर भी सवाल किए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, तलवार के एनजीओ एडवांटेज इंडिया को 11 जून, 2012 से 17 अप्रैल, 2015 के बीच एमबीडीए और एयरबस से 88 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। बाद में पूरी राशि फर्जी खरीद के जरिए निकाल ली गई थी।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ऐसा बहुत ही कम होता है कि एक यूरोपीय रक्षा कंपनी के कंट्री हेड को जांच में शामिल होने के लिए समन दिया गया हो।
सरकार के एक सूत्र ने दावा किया कि लोइस करीब एक दशक से भारत में कंपनी के संचालन का जिम्मा संभाल रहे हैं। मिराज अपग्रेड प्रोग्राम और राफेल पर भारत में लोइस के कार्यकाल के दौरान ही हस्ताक्षर किए गए थे और उसके पास गुप्त जानकारियां होंगी।
एक अधिकारी ने कहा, “अगर जरूरत पड़ी तो जांच एजेंसी समूह निर्यात निदेशक जीन लुक लामोथे को भी समन जारी कर सकती है। सबसे पहले लोइस से कंपनी द्वारा तलवार के एनजीओ को किए गए भुगतान के बारे में बताने के लिए कहा जाएगा।”
लोइस तक पहुंचने का प्रयास व्यर्थ हो चुका है। एमबीडीए के एक प्रवक्ता ने कहा, “एनबीडीए अधिकारियों के सवालों में पूरा सहयोग करेगी और जारी जांच पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी। हम भारतीय बाजार के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
कंपनी ने दावा किया कि वह अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के हिस्से के रूप में भारत में कई सामाजिक विकास कार्यक्रमों में शामिल है। इसमें ही एडवांटेज इंडिया को किया गया भुगतान भी शामिल हो सकता है।