1993 में मुंबई में बॉम्बे ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी का फंदा भले ही लटक गया हो लेकिन खबरों की सुर्खियों में अभी ये नाम काफी गरमाया हुआ है। फांसी के बाद एक से बढ़कर एक खुलासा होता जा रहा है।
एक अंग्रेजी अखबार ने मुंबई पुलिस के सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि जिस दिन याकूब के शव को दफनाया जाना था उस दिन अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के कहने पर भारी भीड़ को जमा किया गया था।
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि याकूब मेमन के माहिम में निकले जनाजे में दस से पंद्रह हजार लोगों की भीड़ जुटी थी। इतनी ही भीड़ उसे मरीन लाइन्स स्थित कब्रगाह में दफनाने के दौरान मौजूद थी।
खबर के मुताबिक, दाऊद ने शहर के अपने वफादारों को फोन करवाया और उन्हें ज्यादा से ज्यादा तादाद में याकूब मेमन के जनाजे में मौजूद रहने के लिए कहा। एक सीनियर पुलिस अफसर ने नाम पब्लिक न किए जाने की शर्त पर कहा, ‘हमें इस बात की जानकारी मिली है कि दाऊद और उसके गुर्गे छोटा शकील ने शहर में कई लोगों को फोन करके आदेश दिया कि वे जनाजे में मौजूद होकर एकजुटता दिखाएं।’
वहीं कम्यूनिटी लीडर्स का कहना है कि याकूब के लिए जुटी भीड़ में बहुत सारे लोगों को यही नहीं पता था कि वह कौन है। इसके अलावा, बहुत सारे मुसलमान एक दूसरे मुसलमान भाई के जनाजे में मौजूदगी दर्ज कराने के मकसद से वहां मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में दाऊद और शकील को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट याकूब के पक्ष में फैसला देगा। उन्हें डर था कि उनकी तरफ से दी गई किसी प्रतिक्रिया का याकूब की याचिका पर असर पड़ सकता है।
इसी वजह से जैसे ही याकूब को फांसी हुई, शकील ने टीवी इंटरव्यू दिया और अंजाम भुगतने की चेतावनी दी। पुलिस के मुताबिक, शकील की यह धमकी इस बात को पुख्ता करती है कि 1993 के धमाकों में उसका ही हाथ था। गौरतलब है कि याकूब की फांसी की दया याचिका को खारिज करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा को धमकी भरा खत मिला है, जिसमें उन्हें मारने की धमकी दी गई है।
जनसत्ता से साभार