मध्यप्रदेश सरकार की किसानों के हित में चलाई गई कल्याणकारी योजनाओं और सिंचाई सुविधाओं में हुए विस्तार के फलस्वरूप पिछले दस साल में समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीदी की मात्रा निरंतर बढ़ती गई। वर्ष 2003-04 में समर्थन मूल्य पर जहाँ मात्र एक लाख 69 हजार मी. टन गेहूँ की खरीदी हुई थी, वहीं वह दस साल में बढ़कर वर्ष 2012-13 में 85 लाख 07 हजार मी. टन पहुँच गई। किसानों से इतनी मात्रा में गेहूँ उपार्जन का यह कार्य मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की खेती को फायदे का धंधा बनाने की मंशा तथा कृषि, सिंचाई प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के कारण संभव हुआ है।
दस वर्ष में गेहूँ उपार्जन
वर्ष
मात्रा लाख मी. टन
2003-04
1.69
2004-05
3.15
2005-06
4.84
2006-07
–
2007-08
0.57
2008-09
24.10
2009-10
19.07
2010-11
35.38
2011-12
49.65
2012-13
85.07
2013-14 अनुमानित
110.00
प्रदेश में गेहूँ खरीदी का यह क्रम 2004-05 में बढ़कर 3.15 लाख मी. टन तथा 2005-06 में 4.84 लाख मी. टन हो गया था। दो साल बाद राज्य सरकार के सतत प्रयासों के फलस्वरूप वर्ष 2008-09 में 24.10 लाख मी. टन, 2009-10 में 19.07 लाख मी. टन, 2010-11 में 35.38 लाख मी. टन, वर्ष 2011-12 में 49.65 लाख मी. टन गेहूँ की खरीदी की गई। गत वर्ष 85.07 लाख मी. टन के आँकड़े को छूने के बाद अब चालू रबी सीजन 2013-14 में 110 लाख मी. टन गेहूँ उपार्जन का अनुमान है।
इतना ही नहीं अब सरकार किसानों को अधिक बोनस देने में भी पीछे नहीं है। वर्ष 2009-10 में गेहूँ के समर्थन मूल्य 1080 रुपये प्रति क्विंटल पर 50 रुपये बोनस दिया जाता था। बोनस की यह राशि वर्ष 2010-11 से वर्ष 2012-13 तक प्रतिवर्ष 100 रुपये प्रति क्विंटल दी जाती रही। राज्य सरकार ने चालू रबी सीजन में गेहूँ के समर्थन मूल्य 1350 रुपये प्रति क्विंटल पर 150 रुपये बोनस देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त बोनस देने के कारण समर्थन मूल्य युक्तियुक्त होने पर उपार्जन में भी अधिक वृद्धि परिलक्षित हुई है। इस प्रकार मध्यप्रदेश के किसानों को उनकी उपज का लाभप्रद मूल्य आसानी से मिल रहा है। सरकार ने इस साल 150 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने के लिए 1050 करोड़ रुपये की राशि की व्यवस्था की है। पिछले साल यही राशि 850 करोड़ रुपये थी।
बोनस
वर्ष
समर्थन मूल्य/क्विंटल
बोनस/क्विंटल
2008-09
रु. 1000
100 रु. प्रति क्विं.
2009-10
रु. 1080
50 रु. प्रति क्विं.
2010-11
रु. 1100
100 रु. प्रति क्विं.
2011-12
रु. 1120
100 रु. प्रति क्विं.
2012-13
रु. 1285
100 रु. प्रति क्विं.
2013-14 (प्रचलित)
रु. 1350
150 रु. प्रति क्विं.
प्रदेश में गेहूँ के बढ़ते उत्पादन, अधिक उपार्जन और किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य मिलने के कारण उपभोक्ताओं को सार्वजनिक उचित मूल्य की दुकानों से अच्छी क्वालिटी का गेहूँ और अन्य खाद्यान्न मिलने लगा है। गेहूँ के उपार्जन में स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन के अलावा मार्कफेड भी सक्रिय है। कार्पोरेशन 23 जिलों में, तो मार्कफेड 27 जिलों में गेहूँ उपार्जन एजेंसी के रूप में सक्रिय है।