पटना, 4 अक्टूबर –बिहार की राजधानी में शुक्रवार को लोग दशहरा की खुशी मनाने के लिए गांधी मैदान में एकत्रित हुए थे परंतु उन्हें इसका तनिक भी एहसास नहीं था कि प्रशासनिक नाकामी के वजह से उनकी खुशियां पलभर में मातम में बदल जाएगी।
पटना में मची भगदड में अपनों को खो चुके तथा अपनों के घायल होने के दर्द को सहने के भरसक प्रयास में लगे लोग घटना के लगभग 24 घंटे गुजर जाने के बाद बस यही कह पा रहे हैं कि सरकार ने हम लोगों के परिजनों को छीन लिया।
दो दिन पूर्व पुनपुन से पटना आई पुष्पा और उसका एक बच्चा इस भगदड़ में असमय काल के गाल में समा चुके है। इस दर्दनाक हादसे के बाद पुष्पा के पति रिंकु शर्मा सहित उसके परिजन पर दुखें का पहाड़ टूट गया हैं।
रिंकू कहते हैं ‘पुष्पा को किसी अप्रिय घटना की आशंका थी। वे इसी कारण ही अपने बडे बच्चे को घर में ही छोड़कर मेला देखने आई थी। पुष्पा को बचपन से ही पटना में दुर्गा पूजा देखने का शौक था और नवमी को पटना के तमाम पंडालों को देखने के बाद अगले वर्ष फिर पटना आने को कही थी परंतु भगवान ने इसी दशहरा को उसके लिए अंतिम दशहरा बना दिया।’
रिंकू इस हादसे के लिए पूरी तरह जिला प्रशासन को दोषी बता रहे हैं। वे कहते हैं कि अगर भीड़ नहीं संभाली जा सकती तब ऐसे आयोजनों का क्या औचित्य है।
इधर सिपरा के निवासी और ऑटो चालक सरिता पांडेय अपने पूरे परिजनों के साथ गुरूवार को मां दुर्गा के पंडालों में खुशी-खुशी घूम रही थी परंतु इस खुशी को ना जाने किसकी नजर लग गई कि अगले ही दिन शुक्रवार को बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में रावण को जलाए जाने के बाद पटना में मची भगदड़ में उनका पुत्र घायल हो गया। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।
सरिता के परिजन पीएमसीएच के बाहर खड़े किसी शुभ समाचार का इंतजार कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि पटना अस्पताल में तो आज सुरक्षा के लिए तमाम व्यवस्था की गई है अगर यही व्यवस्था कल गांधी मैदान में होती तो शायद वे सभी परिवार जो इस हादसे के भेंट चढ़े हैं और जो घायल हुए हैं उनका भी परिवार दशहरा की खुशी मनाते।
सिपारा के ही छह वर्षीय अंगद कुमार इस भयानक हादसे का शिकार हो गया है। अंगद के परिजन अब शायद ही दशहरा पर्व मना सके। अंगद के परिजन कहते हैं कि अंगद जब गिरा तब उसके उपर लोग भागते चले गए। अंत में अंगद की मौत हो गई।
बहरहाल, पटना में 2012 में छठ घाट में मची भगदड़ और पिछले वर्ष नरेन्द्र मोदी की रैली में मची भगदड़ के बाद पटना जिला प्रशासन ने शायद कोई सबक नहीं लिया यही कारण है कि आज पीड़ित परिवार हो या विपक्षी दल के नेता इस हादसे के लिए प्रशासनिक चूक को जिम्मेवार बता रहे हैं।