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थालियों में लौट रहा नगरी दुबराज

रायपुर, 25 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ धमतरी जिले में एक समय था जब धान की किस्म ‘नगरी दुबराज’ की ख्याति दूर-दूर तक थी, लेकिन प्रति एकड़ कम उत्पादन और बाजार में सही दाम नहीं मिलने की वजह से किसानों का रुझान इस ओर कम होता गया। कृषि विभाग इस किस्म को अब प्रोत्साहन दे रहा है, ताकि थालियां फिर से महकने लगें।

सुगंधित दुबराज चावल की प्रसिद्धि को वापस लाने के लिए कृषि विभाग द्वारा खरीफ वर्ष 2013-14 में आत्मा प्रोजेक्ट के तहत धमतरी के गांवों के 70 एकड़ में प्रदर्शनी लगाई गई। बहीगांव, सारंगपुरी, बेलरगांव, सांकरा, खम्हरिया, बोरई एवं लिखमा के 70 किसानों को प्रोत्साहित कर उन्हें प्रति एकड़ 20 किलो धान बीज, दो-दो क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट, कल्चर उपलब्ध कराया गया है।

धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के खम्हरिया गांव के उन्नत कृषक पुनीत कुमार साहू और लिखमा (बोरई) के राकेश कुमार समरथ ने बताया कि उनसे दुबराज का जैविक बीज लिया गया और किसानों को पूर्णत: जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसका अच्छा परिणाम देखने को मिला और किसानों ने प्रति एकड़ 13 से 14 क्विंटल की पैदावार ली।

समरथ ने बताया कि सुगंधित दुबराज धान को व्यापारियों ने हाथों-हाथ लिया। उन्होंने प्रति क्विंटल धान 3500 से 4000 रुपये में किसानों से खरीदा। इससे प्रोत्साहित हो अन्य किसानों की रुचि भी दुबराज धान की खेती में बढ़ी है।

धमतरी के एक लाख 45 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में मात्र 30 से 35 एकड़ में ही नगरी क्षेत्र में दुबराज की पैदावर सिमट कर रह गई थी, जिसे किसान अमूमन स्वयं के उपयोग के लिए रख लेते थे। उम्मीद की जा रही है कि इस नई पहल से नगरी दुबराज लोगों के लिए सुलभ होगा और उनके भोजन का स्वाद बढ़ाएगा।

थालियों में लौट रहा नगरी दुबराज Reviewed by on . रायपुर, 25 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ धमतरी जिले में एक समय था जब धान की किस्म 'नगरी दुबराज' की ख्याति दूर-दूर तक थी, लेकिन प्रति एकड़ कम उत्पादन और बाजार में स रायपुर, 25 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ धमतरी जिले में एक समय था जब धान की किस्म 'नगरी दुबराज' की ख्याति दूर-दूर तक थी, लेकिन प्रति एकड़ कम उत्पादन और बाजार में स Rating:
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