अगरतला:त्रिपुरा के 14 नगर निकाय चुनाव के लिए 25 नवंबर को 81 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. हालांकि विपक्षी दलों- माकपा और तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए इसे रद्द करने की मांग की है.
अधिकारियों ने कहा कि 4.93 लाख से अधिक मतदाताओं में से लगभग 81.54 फीसदी लोगों ने मतदान किया है. त्रिपुरा की सभी निकाय सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी ने अगरतला नगर निगम में 334 सीटों में से 112 पर और 19 नगर निकायों में पहले ही निर्विरोध जीत दर्ज कर ली है.
मतदान के दौरान विपक्षी दलों ने धांधली का आरोप लगाया लेकिन अधिकारियों ने बताया कि मतदान से संबंधित क्षेत्रों में झड़प या वोटिंग मशीन की समस्या से संबंधित कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई.
दोनों विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा के गुंडों ने लोगों पर हमला किया और उन्हें मतदान करने से रोका.
तृणमूल नेता सुबल भौमिक ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ यहां धरना प्रदर्शन किया और राज्य निर्वाचन आयोग पर सत्तारूढ़ भाजपा का पक्ष लेने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘पूरे चुनाव को रद्द कर देना चाहिए क्योंकि मतदाताओं को मतदान करने से रोकने के लिए बूथ जाम करना और अन्य गलत तरीके अपनाए गए.’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘नतीजे आने पर जनता का मत सामने नहीं आएगा. मतदान की प्रक्रिया में गलत तरीकों का इस्तेमाल किया गया है. पुलिस और निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने सत्तारूढ़ दल की तरफदारी की है.’
तृणमूल कांग्रेस की संचालन समिति के राज्य समन्वयक भौमिक ने कहा, ‘तृणमूल के कई उम्मीदवारों के आवासों पर बुधवार हमला किया गया और उनके घर जलाने का प्रयास किया गया. पार्टी के कम से कम पांच कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ और कई समर्थकों को मतदान करने से रोका गया. पुलिस केवल मूकदर्शक बन कर खड़ी रही.’
माकपा की ओर से भी कहा गया कि भाजपा समर्थित गुंडों ने चुनाव में धांधली की. माकपा के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि मतदान की प्रक्रिया तमाशा बनकर रह गई.
चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने नगर निकाय के चुनावों में ऐसी अशांति पहले नहीं देखी थी. एसईसी से बार-बार शिकायत करने के बावजूद मुक्त और निष्पक्ष तरीके से चुनाव नहीं कराये गए.’
हालांकि, सत्तारूढ़ भाजपा ने इन आरोपों का खंडन किया है. भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने कहा, ‘तृणमूल और माकपा निराधार आरोप लगा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि चुनाव में उनकी पराजय होगी. चुनाव अच्छे माहौल में संपन्न हुए हैं.’