तुलजापुर (महाराष्ट्र) : यहां के श्री भवानीदेवी के संदर्भ में शासनद्वारा एक संभ्रम उत्पन्न करनेवाला निर्णय लिया गया है। सरकार ने सार्वजनिक न्यासी व्यवस्था अधिनियम के अधिकार का उपयोग करते हुए अधिसूचना जारी कर इस मंदिर के कामकाज पर पूरा नियंत्रण प्राप्त कर लिया है।
यह जानकारी ‘जी २४ तास’ समाचारप्रणाल के समाचार में दी गई है। हाथ लगे कागदपत्रोंके अनुसार विधि एवं न्याय विभाग ने २० फरवरी २०१५ को अधिसूचना जारी कर राजपत्र (गैजेट) प्रसिद्ध किया है। इसके अनुसार श्री भवानीदेवी मंदिर को सार्वजनिक न्यासी व्यवस्था के रूप में घोषित किया गया है। वर्ष १९६६ की अनुसूची में श्री भवानीदेवी मंदिर का समावेश करने से अब मंदिर के कामकाज पर शासन का पूरा नियंत्रण रहेगा। इस अधिसूचना से मंदिर का भ्रष्टाचार नियंत्रित रहेगा तथा जनपदाधिकारी की अध्यक्षता में रहनेवाले मंदिर के न्यासी के विरुद्ध न्यायालयीन अभियोग पर इस अधिसूचना का दूरगामी परिणाम होगा।
देवस्थान के कामकाज का प्रमुख न्यासी जनपदाधिकारी ही रहता है। महाराष्ट्र शासन ने आजतक वे ही नियम चालू रखे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सरकार ने पुनः इन मंदिरोंका सरकारीकरण कर ये मंदिर नियंत्रण में लिए। यही उस के आगे का चरण है। अतः शासन ने नया कुछ भी नहीं किया है।
इस मंदिर का भ्रष्टाचार सामने आने पर सरकार ने केवल दिखाने हेतु यह कदम उठाया है। ऐसा करने की अपेक्षा इस भ्रष्टाचार को जड से उखाड कर फेंकना आवश्यक है। महत्त्वपूर्ण यह कि आजतक जिन मंदिरोंका सरकारीकरण हुआ, उन में सिद्धिविनायक मंदिर से कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी मंदिर तक प्रत्येक स्थान पर भ्रष्टाचार ही हुआ। ऐसी स्थिति में सरकार श्री भवानीदेवी के मंदिर को किस मुंह से पूर्णतः नियंत्रण में ले रही है ? इस की अपेक्षा सरकार को ईश्वर एवं भक्तोंके मध्य नहीं आना चाहिए। पूरा सरकारीकरण हुए मंदिर भक्तोंके नियंत्रण में देने चाहिए। सच्चे अर्थ से भक्त ही भक्तिपूर्ण कामकाज करेंगे, जिससे वहां किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार करना संभव नहीं होगा !’
साभार-हिन्दुजागृति