काबुल, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान से आतंकी संगठन तालिबान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने को कहा है।
तालिबान के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर गनी ने सोमवार को कूटनीतिक बदला लेने की धमकी दी।
राष्ट्रपति ने सोमवार को कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम अब पाकिस्तान से बिल्कुल अपेक्षा नहीं कर रहे हैं कि वह तालिबान को वार्ता की मेज पर लाए।”
उन्होंने कहा, “बल्कि, हम चाहते हैं कि पाकिस्तान अपने वादे पूरे करे और अपनी धरती पर तालिबान के ठिकानों और नेतृत्व के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करे। यदि वह उन्हें निशाना नहीं बना सकता तो उन्हें हमारी न्यायपालिका को सौंप दे।”
राष्ट्रपति ने कहा, “यदि हम क्षेत्रीय सहयोग के अपने सच्चे प्रयासों के बावजूद बदलाव नहीं देखेंगे तो हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाने और गंभीर कूटनीतिक प्रयास शुरू करने के लिए मजबूर होंगे।”
‘डॉन आनलाइन’ की खबर में कहा गया है कि गनी ने पिछले मंगलवार को काबुल में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद नए कड़े रुख के तहत यह बयान दिया है। उस हमले में 64 लोगों की मौत हो गई थी।
वर्ष 2001 में जब से तालिबान सत्ता से बाहर हुआ है, उसके बाद से काबुल स्थित सुरक्षा सेवा के कार्यालय पर हुआ यह सबसे भीषण हमला था।
कई वर्षो के इनकार के बाद पाकिस्तान सरकार ने हाल में स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान का तालिबानी नेतृत्व उसके देश में सुरक्षित ठिकाना बनाए हुए है।
गनी ने कहा, “क्षमादान का समय समाप्त हो गया है। जो तालिबान रक्तपात समाप्त करने के लिए तैयार हैं उनके लिए हमने बातचीत का दरवाजा खोल रखा है। लेकिन, यह दरवाजा हमेशा के लिए नहीं खुला रहेगा।”
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के दुश्मन अलकायदा, हत्यारा हक्कानी नेटवर्क और कुछ तालिबान हैं जो देश के लोगों का रक्त बहाना पसंद करते हैं।
‘कुछ तालिबान’ कह कर गनी ने तालिबान के एक अन्य हिस्से से शांति की उम्मीदें कायम रखी हैं।
गनी ने कहा कि पेशावर और क्वेटा में शरण लिए हुए तालिबान के नेता गुलाम हैं और अफगानिस्तान के दुश्मन हैं जो अपने ही देश के लोगों का रक्त बहाते हैं।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने गनी की टिप्पणी को अस्वीकार करते हुए दोहराया है कि उसका संगठन तब तक जेहाद जारी रखेगा जब तक अफगानिस्तान से विदेशी कब्जा खत्म नहीं हो जाता।
इससे पहले तालिबान ने इसी माह पूरे अफगानिस्तान में हमले करने की घोषणा की थी।