यह जानकारी ’टाइम्स’ पत्रिका ने दी है। इस्तीफ़ा देने वाले इन चारवि-संचालकों की शिकायत है कि वे घण्टों तक चारवि का संचालन करने के बाद और कम्प्यूटर के परदे पर लोगों को मरते हुए देखने के बाद बेहद मानसिक तनाव में आ जाते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बात सिर्फ़ नैतिक और मनोवैज्ञानिक परिणामों तक ही सीमित नहीं है।
अमरीकी सैन्य मन्त्रालय पेण्टागण और सी०आई०ए० पिछले अनेक वर्षों से सीरिया, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और इराक में इन ड्रोन विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन चालक रहित विमानों (चारवि) का इस्तेमाल आतंकवादियों की टोह लेने और उनको नष्ट करने के लिए किया जाता है। पत्रिका ’टाइम्स’ का यह कहना है कि इन ड्रोन विमानों द्वारा किए जाने वाले हमलों का संचालन करते हुए इन विमानों के ऑपरेटर कम्प्यूटर की स्क्रीन पर लोगों को मरते हुए और तड़पते हुए देखते हैं। चालक रहित विमानों (चारवि) पर लगे विडियो-कैमरे इन चित्रों का प्रसारण करते हैं। और विमानों के ऑपरेटर यह शिकायत करते हैं कि यह काम मनोवैज्ञानिक तौर पर उन्हें भारी तनाव से भर देता है।
इन ड्रोन विमानों के संचालकों द्वारा भारी संख्या में इस्तीफ़ा देने का एक दूसरा गम्भीर कारण भी है। रूस के सामरिक योजना संस्थान के निदेशक अलेक्सान्दर गूसेफ़ ने कहा :
इन ऑपरेटरों को यह मालूम है कि उनके द्वारा किया जाने वाला काम ग़ैरकानूनी होता है और इस काम के लिए उन्हें भारी-भारी सज़ाएँ मिल सकती हैं। चाहे वे कहीं भी जाकर क्यों न छिप जाएँ, जिसी भी देश में क्यों न चले जाएँ, अगर पकड़े गए तो सज़ा तो झेलनी ही होगी। ये लोग अपराधी की श्रेणी में आते हैं क्योंकि ड्रोन विमानों द्वारा किए जाने वाले हमलों में सिर्फ़ आतंकवादी ही नहीं मारे जाते, बल्कि बड़ी संख्या में आम नागरिक भी मारे जाते हैं।
इस तरह चालक रहित विमानों के ये ऑपरेटर इन ड्रोन विमानों का संचालन करते हुए हमलावर की भूमिका निभाते हैं और इनकी कार्रवाइयाँ अन्तरराष्ट्रीय कानून के अनुसार अपराध की श्रेणी में आती हैं। यह ठीक है कि अन्तरराष्ट्रीय कानून इन्हें सैन्य-विशेषज्ञ मानेगा और इनकी कार्रवाइयों को भी युद्ध में की गई कार्रवाइयाँ मानेगा, लेकिन फिर भी उनके परिणामों का प्रतिफल तो इन्हें भोगना ही होगा। दूसरी तरफ़ अन्तरराष्ट्रीय आतंकवादी दल भी इन्हें अपना दुश्मन मानते हैं और ये लगातार उनकी नज़रों में चढ़े रहते हैं। अल-क़ायदा की तरह के आतंकवादी गिरोहों और इस्लामी कट्टरपन्थियों ने ड्रोन विमानों के इन ऑपरेटरों को अपना दुश्मन घोषित कर दिया है और वे अब इनका भी पीछा करेंगे। इस तरह चालक रहित विमानों के ये संचालक दोनों तरफ़ से दबाव झेल रहे हैं। हालाँकि सीधे-सीधे ये ऑपरेटर किसी लड़ाई में भाग नहीं लेते, लेकिन उनके जीवन के लिए भयानक ख़तरा पैदा हो जाता है।
हर साल अमरीकी सैन्य मन्त्रालय पेण्टागन ड्रोन विमानों के 180 ऑपरेटरों को प्रशिक्षित करता है, लेकिन फिर भी अमरीकी सेना में आज 300 ऑपरेटरों की कमी पैदा हो गई है। रूस के सामरिक स्थिति केन्द्र के निदेशक इवान कनावालफ़ के अनुसार अमरीकी सेना में ड्रोन-ऑपरेटरों की यह कमी उस समय सामने आई है, जब सारी दुनिया में आम नागरिकों पर ड्रोन विमानों के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ ज़ोरदार आवाज़ उठ रही है। इवान कनावालफ़ ने कहा :
निश्चय ही ऑपरेटर को यह पता होता है कि वह उस जगह से बहुत दूर स्थित है, जहाँ ड्रोन विमान हमला कर रहे हैं, लेकिन फिर भी वह ड्रोन को हमला करने को कहता है और उस हमले में आम नागरिक भी मारे जाते हैं, इसका ऑपरेटरों की मानसिक स्थिति पर गहरा असर होता है। यह बात ऑपरेटरों को हाल ही में समझ में आने लगी है। पहले वे इस समस्या को सिर्फ़ अपना काम मानते थे कि कहीं कोई निशाना दिखाई दे रहा है और बस, उस निशाने पर हमला करना है। लेकिन जब उन्हें यह अहसास होने लगा कि वे निशाना तो आम जनता को, आम लोगों को बना रहे हैं, जब इस निशाने में मरने वालों की संख्या बढ़ने लगी, तो ड्रोन-ऑपरेटरों पर इसका नकारात्मक असर भी सामने आने लगा।
अमरीकी सैन्य मन्त्रालय इन ड्रोन-ऑपरेटरों का वेतन बढ़ाकर इस समस्या को हल करना चाहता है। वेतन के अलावा ड्रोन ऑपरेटरों को हर साल बोनस के रूप में 25 हज़ार डॉलर और दिए जाएँगे। सैन्य अधिकारियों के अनुसार, इस तरह अधिक वेतन और बोनस की वजह से ड्रोन-ऑपरेटर का पद एक आकर्षक पद बन जाएगा।
लेकिन फ़िलहाल अमरीकी वायुसेना की कमान को ड्रोन विमानों का इस्तेमाल घटाकर कम कर देना पड़ा है क्योंकि चालक रहित इन विमानों का संचालन करने के लिए ऑपरेटर ही नहीं हैं। अमरीकी सैन्य अधिकारियों का कहना है कि इस समय तो मुख्य तौर पर ’इस्लामी राज्य’ नामक आतंकवादी गिरोह के ठिकानों पर ही बमवर्षा की जा रही है।
रेडिओ रूस से