मुंबई, 1 अप्रैल- रामानंद सागर के 1980 के दशक के लोकप्रिय पौराणिक धारावाहिक ‘रामायण’ के दूरदर्शन पर वापसी के साथ भारतीय दर्शकों को एक बार फिर से पौराणिक महाकाव्य कहानी को देखने का मौका मिला है। शो सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
पिछले 24 घंटों में शो ने लैंगिकता आधारित चर्चा व बहस का मोड़ ले लिया है, कुछ दर्शक रानी कैकेयी पर भड़ास निकाल रहे हैं और उनकी नौकरानी मंथरा को गालियां दे रहे हैं। ये दोनों पात्र संयोग से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं।
शो को लेकर नारीवाद केंद्रित बहस भी छिड़ी हुई है। जहा कुछ यूजर्स का मानना है कि ‘रामायण’ अपने महिला पात्रों के साथ उचित व्यवहार नहीं करता, वहीं अन्य लोगों का मानना है कि सशक्त महिलाओं के कारण इसकी कहानी इतनी प्रभावी है।
महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल के रूप में कहानी को सराहते हुए एक दर्शक ने ट्वीट किया, “हम 7000 साल पहले भी इतने प्रगतिशील थे, यह अद्भुत है। सीता बहुत बुद्धिमान और योद्धा महिला थीं। कैकेयी केवल एक योद्धा नहीं थी, वह देवासुर संग्राम में राजा दशरथ की सारथी थी, जो बिल्कुल आसान काम नहीं था। सच्चा महिला सशक्तिकरण.रामायण।”
एक अन्य दर्शक ने लिखा, “आज रामायण को देखकर मुझे भारत की पहली महिला ड्राइवरों की याद आ गई। कैकेयी और सत्यभामा।”
हालांकि, सबने यह महसूस नहीं किया कि कहानी ‘महिला सशक्तिकरण’ को बढ़ावा देती है, और हर किसी ने कैकेयी के प्रति अच्छा नहीं बोला।
एक दर्शक ने कहा कि कैकेयी अच्छी महिला नहीं थी। “अपने बेटे को राजा बनाने के लिए कहना ठीक था, लेकिन राम को वनवास में भेजना बिलुकल गलत था। मैं अपने शब्द वापस नहीं लूंगा”
एक और दर्शक ने कहा, “कैकेयी पूरे महाकाव्य में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण चरित्र थी। बेचारी राम को अपने बेटे से अधिक प्यार करती थी, अपने राजा के लिए लड़ाई में गई थी, शायद रानियों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान थी। बस उसकी एक गलत सोच ने सबको बर्बाद कर दिया। कितना अच्छा सबक है!”
फिर भी एक और ने कहा, “एक महिला घर बना या बिगाड़ सकती है। इसका अच्छा उदाहरण कैकेयी है।”
दूरदर्शन ने महज कुछ दिनों पहले ही ‘रामायण’ का प्रसारण फिर से शुरू किया है और एक बात स्पष्ट है कि तीन दशक बाद भी यह चर्चा और सुर्खियों में बना हुआ है।