नई दिल्ली, 10 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को लश्कर-ए-तैयबा के कथित बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ 1994 के एक मामले में टाडा (आतंकवादी एवं विध्वंशक गतिविधि) अधिनियम तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत आरोप वापस ले लिए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा ने टाडा अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ (निवारक) अधिनियम, हथियार अधिनियम एवं आपराधिक साजिश के तहत आरोपी 72 वर्षीय टुंडा को बरी कर दिया।
टुंडा को दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर पुलिस थाने में 1994 में दर्ज विस्फोटक पदार्थ बरामद होने से संबंधित एक मामले में एक उद्घोषित अपराधी घोषित किया गया था।
यद्यपि टुडा को विस्फोटक पदार्थ बरामद होने के मामले में राहत मिल गई है, लेकिन उसे जेल में ही रहना पड़ेगा क्योंकि वह कथित तौर पर भारत में 1994 और 1998 के बीच हुए 33 बम विस्फोटों में लिप्त रहा है। इसमें से 22 विस्फोट दिल्ली में हुए थे। उसे अगस्त 2013 में गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने 12 मार्च, 2014 को टुंडा के खिलाफ टाडा और ईएसए के तहत एक अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किया था।
न्यायालय ने पूर्व में पुलिस से यह स्पष्टीकरण भी मांगा था कि क्या उसके पास टुंडा के खिलाफ टाडा के तहत आरोपों के लिए कोई ताजा सबूत है।
न्यायालय ने कहा कि मामले में गिरफ्तार पांच अन्य सहआरोपियों को एक निचली अदालत ने दिसंबर 1999 में ही टाडा के आरोपों से बरी कर दिया था।
लेकिन उन्हें आपराधिक साजिश के आरोपों में और ईएसए के तहत दोषी ठहराया गया।
पुलिस ने कहा कि टाडा के प्रावधानों के तहत सहआरोपियों को बरी करते समय न्यायालय ने कहा था कि टुंडा उसके निष्कर्ष से बाहर है।
बचाव पक्ष के वकील एम.एस. खान ने पुलिस की याचिका का विरोध किया और कहा कि न्यायालय के फैसले को चुनौती नहीं दी गई है और साजिश के अपराधों के लिए आरोपी को बरी किया जाना लागू है।
वकील ने कहा कि मामले में टुंडा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है।