रांची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड में निवेशकों को लुभाने के लिए आयोजित किए जा रहे वैश्विक सम्मेलन के आयोजन में अब कुछ ही दिन बाकी हैं, उसके पहले राज्य सरकार अपना चेहरा चमकाने और ब्रांडिंग पर 150 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।
रांची, 11 फरवरी (आईएएनएस)। झारखंड में निवेशकों को लुभाने के लिए आयोजित किए जा रहे वैश्विक सम्मेलन के आयोजन में अब कुछ ही दिन बाकी हैं, उसके पहले राज्य सरकार अपना चेहरा चमकाने और ब्रांडिंग पर 150 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।
राज्य में 16 फरवरी को वैश्विक निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है और रघुबर दास सरकार इस आयोजन की भव्य ब्रांडिंग करने जा रही है।
उन्होंने व्यापारियों और उद्योगपतियों को कोलकाता से रांची लाने-ले जाने के लिए चार्टड विमान किराए पर लिया है और इसके लिए एयर इंडिया और एलायंस एयर से साझेदारी की है।
एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, “सीआईआई और अन्य व्यापार संघों की भागीदारी में झारखंड ने 30 करोड़ का आवंटन किया है। साथ ही अखबारों और चैनलों पर विज्ञापन के लिए मंत्रिमंडल ने 40 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है।”
चार्टड विमानों पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे जो सीआईआई उठाएगा।
उद्योग संगठन ने सरकार से गुजारिश की है कि वे इन विमानों की व्यवस्था यह ध्यान में रखते हुए करे कि कार्यक्रम में शामिल होनेवाले प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ सकती है। मेहमानों के लिए यहां के महंगे होटलों में ठहरने की व्यवस्था की गई है।
अनुमान है कि आयोजन में 6,000 से ज्यादा प्रतिनिधिमंडल भाग लेंगे, जिनके ठहरने और खान-पान पर एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जाएंगे। राज्य सरकार ने इन हाईप्रोफाइनल मेहमानों की मेहमानवाजी में दिल खोल कर खर्च करने की योजना बनाई है और खाने पर प्रति प्लेट 4,000 रुपये खर्च किए जाएंगे।
इनके आनेजाने के लिए टैक्सियों को किराए पर लिया गया है जिस पर 20 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। दो दिन तक चलने वाले इस आयोजन की सुरक्षा में पुलिस के 4,700 जवानों/अधिकारियों को तैनात किया गया है।
वहीं, विपक्ष बड़े पैमाने पर किए जा रहे इन खर्चो का विरोध कर रहा है। कांग्रेस के महासचिव आलोक दूबे ने आईएएनएस को बताया, “पहले जिन एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए थे, उनमें से शायद ही कोई हकीकत में बदला है। जमीन एक बड़ा मुद्दा है और संयंत्र हवा में नहीं लगाए जा सके।”
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि केवल उन्हीं एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिन पर काम शुरू होने की संभावना होगी।