रांची, 3 अगस्त (आईएएनएस)। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद झारखंड कांग्रेस में शुरू हुआ किचकिच थमता नजर नहीं आ रहा है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में दो गुटों की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के दोनों पक्षों को दिल्ली तलब किया गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ़ अजय कुमार के खिलाफ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ़ प्रदीप बालमुचू और रांची के सांसद रहे सुबोधकांत सहाय ने बिगुल फूंक दिया है। बागी गुट जहां कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने की मांग कर रहा है, वहीं डॉ़ अजय ने बागी गुट के दो नेताओं सुरेंद्र सिंह और राकेश सिन्हा को पार्टी से निलंबित कर उनके आक्रोश को और हवा दे दी। निलंबित दोनों नेता सुबोधकांत सहाय के नजदीकी माने जाते हैं।
इस साल झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लेकर जहां अन्य दल तैयारी में जुट गए हैं, वहीं कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो दिन पूर्व विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस की हो रही बैठक में हंगामे को देखते हुए कांग्रेस दफ्तर के आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किया गया था। यहां तक कि बागी गुट के नेताओं द्वारा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की गई। बागी गुट के नेताओं को हटाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
डॉ़ बालमुचू ने डॉ़ अजय की आलोचना करते हुए कहा, “डॉक्टर साहब को राजनीति की नब्ज टटोलने नहीं आती। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ना पार्टी का दुर्भाग्य होगा।”
उन्होंने कहा कि प्रदेश नेतृत्व अबतक लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा नहीं कर पाई है, तो अब खामियों को दूर कर विधानसभा चुनाव में राह आसान करने की कोशिश कैसे शुरू हो सकेगी।
उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को बाहरी बताते हुए कहा कि ‘पार्ट टाइम जॉब’ वाले से पार्टी नहीं चलती। काम भी नहीं करेंगे और अध्यक्ष भी बने रहेंगे, अब ऐसा नहीं चलेगा। चार माह बाद विधानसभा चुनाव है। उन्होंने कहा कि आलाकमान किसी भी झारखंडी को अध्यक्ष बना दे।
कांग्रेस के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, “डॉ. अजय को जब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, पार्टी के लोगों को लगा था कि अपने प्रबंधकीय कौशल का उपयोग वह पार्टी को मजबूत करने में करेंगे, लेकिन जल्द ही कांग्रेस के पुराने नेताओं-कार्यकर्ताओं को पता चल गया कि डॉ. अजय कुमार अब तक आईपीएस अधिकारी की मानसिकता से बाहर नहीं निकल सके हैं।”
वैसे यह कोई पहली बार नहीं है कि कांग्रेस किसी नौकरशाह को परख रहा हो। इससे पहले भी कांग्रेस ने डॉ़ रामेश्वर उरांव, सुखदेव भगत, विनोद किसपोट्टा, डॉ़ अरुण उरांव, बेंजामिन लकड़ा जैसे पूर्व नौकरशाहों को पार्टी ने परखा था और इन नेताओं ने पार्टी को गति दी थी।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ़ अजय कहते हैं कि पार्टी कार्यालय में जो भी हुआ, वह भाड़े के लोगों की मदद से किया गया। उन्होंने कहा कि जो भी नेता पार्टी के विरोध में कार्य कर रहे हैं, उनके खिलाफ रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उनके खिलाफ आलाकमान से कार्रवाई की मांग करेंगे।
अजय कुमार ने बिना किसी के नाम लिए कहा, “मैंने खून दिया है, जबकि इनलोगों ने खून चूसा है। ये लोग खुद और अपने बेटे-बेटी के लिए टिकट चाहते हैं, इसलिए बवाल करते हैं। बहुत हुआ, अब कार्रवाई होगी।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने प्रदेश अध्यक्ष के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अध्यक्ष के कारण राज्य के कार्यकर्ता असमंजस में हैं। यहां पर कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्वकर्ता कहां हैं, किसी को नहीं मालूम। कौन नेतृत्व कर रहा है, यह भी कार्यकर्ताओं को पता नहीं चल पा रहा है। इससे कांग्रेस के लोग असमंजस में हैं। पुराने कार्यकर्ता चुप बैठे हैं। यह पार्टी के हित में नहीं है।
रांची के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक विजय पाठक ने आईएएनएस से कहा कि झारखंड बनने के बाद से ही कांग्रेस की स्थिति यहां ऐसी ही रही है। कांग्रेस बराबर दो गुटों में बंटी रही है और आज भी है।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस अभी तक झारखंड में परिवारवाद से आगे नहीं निकल पाई है। यही कारण है कि लोग प्रदेश अध्यक्ष से नाराज होते रहे हैं। कोई भी प्रदेश अध्यक्ष बने, उससे यहां नाराजगी होगी।”
बहरहाल, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि शनिवार को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है, जिसमें दोनों गुटों के 20 नेताओं को तलब किया गया है। इस बैठक में प्रदेश कांग्रेस में एका बनाने को लेकर चर्चा भी होगी और फैसला होगा, जो सभी कार्यकर्ताओं के हित में होगा।