झाबुआ, 20 अक्टूबर – देश में शिक्षा अनुपात के मामले में बदहाल मध्य प्रदेश के जनजातीय बाहुल्य झाबुआ जिले के विद्यालयों में राज्य के स्थापना दिवस एक नवंबर से सरकारी विद्यालयों के शिक्षक भी अब छात्रों की तरह गणवेष (ड्रेस) में नजर आएंगे। जिला प्रशासन ने शिक्षकों की सहमति से ड्रेस कोड तय कर दिया है। सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए गणवेष तय है और विद्यार्थियों को नियमित रूप से तय गणवेष में विद्यालय आना अनिवार्य है। राज्य के जनजातीय बाहुल्य झाबुआ जिले में शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने और अनुशासन कायम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, तमाम कोशिशों के बाद भी इस जिले के हालात नहीं बदले हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक शिक्षा के मामले में झाबुआ देश के बदहाल जिलों में से एक है।
जिला प्रशासन शिक्षा की स्थिति में सुधार लाना चाहता है और इसके लिए प्रयास चल रहे हैं। उसी क्रम में पिछले दिनों शिक्षकों की एक कार्यशाला हुई जिसमें जिले के शिक्षा के हालात को लेकर हर तरफ से चिंता जताई गई। सभी ने अपने-अपने तरह से सुझाव भी दिए, जिसमें एक शिक्षकों के लिए गणवेष का सुझाव भी था।
झाबुआ के जिलाधिकारी बी. चंद्रशेखर ने बताया है कि गणवेष से अनुशासन बढ़ता है, विद्यार्थी को तो गणवेष में विद्यालय आने को बाध्य किया जाता है, मगर शिक्षकों के लिए ऐसा नहीं है। एक कार्यशाला में शिक्षकों के लिए भी गणवेष तय करने का सुझाव आया था, जिस पर आम सहमति बनी, इसी के चलते शिक्षकों के लिए भी गणवेष तय कर दिया गया है।
बताया गया है कि ड्रेस कोड में पुरुष शिक्षकों के लिए नीले रंग का फुल पैंट व नीले शेड की सफेद शर्ट और महिलाओं के लिए गुलाबी साड़ी व गुलाबी पिंट्र वाला ब्लाउज तय किया गया है। महिलाओं को सलवार सूट पहनने का भी विकल्प रहेगा।
जानकारी के अनुसार राज्य के स्थापना दिवस एक नवंबर से शिक्षकों को तय ड्रेस कोड में ही विद्यालय जाना होगा। इसके लिए जिले के सभी विद्यालयों के प्राचार्य व प्रधानाचार्य के लिए निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
सूात्रों के अनुसार, शिक्षकों के लिए गणवेष तय किए जाने की वजह है, क्योंकि गणवेष पहने होने पर शिक्षकों को विद्यालय आने की बाध्यता हो जाएगी और वे चाहकर भी गणवेष में विद्यालय के बजाय कहीं और जाने से बचेंगे, क्योंकि उनकी पहचान आसान रहेगी। शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ेगी और पढ़ाई का स्तर भी सुधरेगा।
अब देखने वाली बात होगी कि विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों के लिए तय गणवेष से शिक्षा के स्तर में कोई सुधार आता है या यूं ही यह एक शिगूफा बनकर रह जाता है