लखनऊ, 29 मई(आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश बीएड जॉइंट प्रवेश परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। प्रयागराज के विनोद कुमार दुबे ने परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया है।
राज्य बीएड प्रवेश परीक्षा समन्वयक प्रो. बी.आर. कुकरेती ने बताया कि बीएड का फाइनल परिणाम अभ्यर्थी वेबसाइट पर देख सकते हैं। रैंक के साथ परिणाम वेबसाइट पर मौजूद है। अभ्यर्थी यूपीबीईडी2019डॉटइन वेबसाइट पर जाकर रैंक व रिजल्ट देख सकते हैं। जून में काउंसलिंग शुरू कराने की तैयारी है।
उन्होंने बताया, “इस बार बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में प्रयागराज के विनोद कुमार दुबे ने पहली रैंक हासिल की है। वहीं, वाराणसी के अरुण कुमार चौरसिया ने दूसरी व बरेली के सुनील कुमार ने तीसरी रैंक पाई है। टॉप टेन रैंक की सूची में प्रयागराज, वाराणसी, बरेली, गाजियाबाद व कानपुर के अभ्यर्थियों ने स्थान पाया है।”
कुकरेती ने बताया, “15 अप्रैल को हुई बीएड प्रवेश परीक्षा में 6,09,209 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था, जबकि 5,66,400 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। बीते 21 मई को विवि प्रशासन ने आंसर-की के साथ अंकों के आधार पर रिजल्ट जारी किया था। लेकिन रैंक तैयार नहीं हुई थी। इसके अलावा अभ्यर्थियों से परिणाम पर आपत्तियां भी मांगी गई थीं। 23 मई तक शिकायतों का निपटारा कर लिया गया। तब जाकर यह अंतिम परिणाम तैयार हुआ।”
उन्होंने बताया, “बीएड की प्रवेश परीक्षा में इस बार रिकॉर्ड 6,09,209 अभ्यर्थी पंजीकृत हुए थे। इसमें 5,66,400 ने परीक्षा दी थी। पिछले कई सालों में बीएड की परीक्षा में अभ्यर्थियों की यह रिकॉर्ड संख्या है। प्रदेश में बीएड की सीटें सवा दो लाख के आस-पास हैं। इस स्थिति में इस बार प्रवेश को लेकर मारामारी रहेगी।”
बीएड परीक्षा में प्रथम रैंक पाने वाले विनोद कुमार दुबे भदोही जिले के संतरविदास नगर में दशरथपुर गांव के रहने वाले हैं। वह स्नातक और परास्नातक (प्राचीन इतिहास) इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हैं। विनोद ने बताया कि वह प्रयागराज में रहकर सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
दुबे 2018 में सिविल मुख्य परीक्षा में कुछ अंकों से चूक गए थे। उन्होंने कहा, “इस बीच बीएड के आवेदन आए, तो उन्होंने फॉर्म भर दिए। इस सफलता में मेरी मेहनत और बड़े बुजुर्गों व शिक्षकों के आशीर्वाद की भूमिका है। मेरे पिता सुरेंद्र नाथ दुबे भदोही जिले में ही एक इंटरमीडिएट कॉलेज में प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। परिवार में अन्य कुछ लोग भी शिक्षक हैं। ऐसे में मेरा रुझान भी इसी ओर हो गया।”