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जैविक डेयरी फार्मिग से सुधरेगी किसानों की दशा

बेंगलुरू, 20 जनवरी (आईएएनएस)। जैविक चारा और देखभाल के साथ गौ पोषाहार से ‘वास्तविक’ विपुल जैविक दूध उपलब्ध होगा और उनके मालिक अल्प समय में धनी बन जाएंगे। कर्नाटक के देहाती क्षेत्रों में डेयरी चलाने वाले पशुचिकित्सा विशेषज्ञों ने यह मत व्यक्त किया है।

बेंगलुरू, 20 जनवरी (आईएएनएस)। जैविक चारा और देखभाल के साथ गौ पोषाहार से ‘वास्तविक’ विपुल जैविक दूध उपलब्ध होगा और उनके मालिक अल्प समय में धनी बन जाएंगे। कर्नाटक के देहाती क्षेत्रों में डेयरी चलाने वाले पशुचिकित्सा विशेषज्ञों ने यह मत व्यक्त किया है।

पशुचिकित्सक से उद्यमी बने जी. एन. एस. रेड्डी ने निश्चय पूर्वक कहा कि यह दुखद है कि देश के शहरी इलाकों में आपूर्ति किए जाने वाले या बेचे जाने वाले अधिकांश दूध जैविक नहीं है, बल्कि कृत्रिम हैं क्योंकि ये उन किसानों से प्राप्त किए जाते हैं जो अपने पशुओं को यूरिया जैसे रसायनिक उर्वकों से उपजाया गया चारा खिलाते हैं।

यहां से 150 किलोमीटर दूर तुमकुरू जिले के तिप्तपुर स्थित अपनी डेयरी से रेड्डी ने आईएएनएस को बताया, “सहयोग समितियों के दुग्ध उत्पाद भी दूषित हैं क्योंकि आधुनिक पशुपालन पशुओं के लिए ढेर सारे कारखाना निर्मित चारे और हार्मोन्स को प्रोत्साहित करते हैं।”

उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में 25 करोड़ रुपये के अग्रिम निवेश से 24 एकड़ भूमि पर शुरू हुआ अक्षयकल्प फार्म एंड फूडस् लिमिटेड ग्रामीण क्षेत्र में स्थित कारोबारी मॉडल के रूप में ग्रामीण उद्यमिता को उत्पन्न करने वाला पहला निजी प्रयास है।

रेड्डी ने कहा, “खास तौर से बेंगलुरू के स्वास्थ्य के प्रति सचेत नागरिकों व अन्य में जैविक दूध के लोकप्रिय होने को ध्यान में रखते हुए हमारे सदस्य किसान अपना संपूर्ण उत्पाद अक्षयकल्प को 50 रुपये प्रति लीटर पर बेचने में समर्थ हैं। इसमें सदस्य किसानों को 15 रुपये प्रति लीटर आय होती है।”

उन्होंने कहा कि करीब 1100 किसानों से एकत्रित 15,000 लीटर दूध को प्रतिदिन प्रसंस्कृत करने के लिए कामचलाऊ व्यवस्था हमने की थी। ये सभी किसान हमारी देखरेख में पांच-पांच एकड़ भूमि में जैविक चारे की खेती करने और हर गाय से 10-12 लीटर दूध निकालने में सक्षम हैं।

उन्होंने बताया कि दूध के सबसे बड़े उत्पादक देशों में भारत शीर्ष स्थान (1 अरब 35 करोड़ टन प्रति वर्ष) रखता है। भारत में पशुओं की संख्या (30 करोड़) सर्वाधिक है और गाय या भैंस से दुग्ध प्राप्ति भी सर्वाधिक है लेकिन इसकी गुणवत्ता अत्यंत न्यून है। प्रति किलोग्राम चारे से प्रति लीटर दुग्ध प्राप्ति कम रहता है जबकि दुनिया भर में बेहतर फर्मो में प्रति किलोग्राम चारे से 1.6 लीटर दुग्ध प्राप्त होता है।

रेड्डी ने कहा, “हमारा दो लक्ष्य है, छोटे और मध्यम किसानों को निर्माण या सेवा क्षेत्र के लोगों जैसा ही उद्यमशील और उत्पादक बनाना है। हम जितना कर रहे हैं उतना अर्जित कर सकें और ग्रामीण युवकों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए गांव में बने रहें।”

जैविक डेयरी को सार्थक बनाने के जरिए रेड्डी ने कहा कि वे शहरों की ओर हो रहे पलायन को रोकना चाहते हैं और छोटे एवं मध्यम किसानों के लिए आर्थिक अवसर तैयार करना चाहते हैं, ताकि ये किसान सूक्ष्म उद्यमी बन सकें और स्वचलित जैविक उत्पाद को राज्य भर में छोटे एवं मध्यम फार्म का अभिन्न हिस्सा बना सकें।

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हम आत्मनिर्भर फार्म खड़ा कर सकेंगे जो किसानों की आय में वृद्धि करेंगे और शारीरिक श्रम करने वालों की संख्या कम होगी।

इंडो-एशियन न्यूज एजेंसी।

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