नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को यहां कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोकतंत्र में गुणवत्ता जोड़ती है, लेकिन कार्यपालिका के फैसले इसके द्वारा नहीं लिए जाने चाहिए।
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “कार्यपालिका से जुड़े फैसले कार्यकारियों द्वारा ही लिए जाने चाहिए, न्यायपालिका द्वारा नहीं।”
मंत्री ने कहा, “मैं समझता हूं कि स्वतंत्र न्यायपालिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सही कहा गया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र की गुणवत्ता बढ़ाती है। यह बुनियादी संरचना का हिस्सा है। जिस तरह से एक स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान की बुनियादी संरचना का हिस्सा है, उसी तरह से विधायिका की प्रधानता भी बुनियादी संरचना का हिस्सा है।”
जेटली ने कहा, “जब कार्यपालिका कोई फैसला लेता है तो उस फैसले के खिलाफ तीन उपाय खुले रहते हैं। लोग प्रतिवेदन दे सकते हैं और कार्यपालिका को उसे बदलने के लिए कह सकते हैं। यदि वह गैर कानूनी है तो अदालत उसे निरस्त कर सकती है। यदि वह फैसला अलोकप्रिय है तो लोग उस कार्यपालिका को वोट के माध्यम से हटा सकते हैं। इस तरह जब कार्यपालिका कोई शासनात्मक फैसला लेती है तो जवाबदेही के विभिन्न स्तर होते हैं।
जेटली ने कहा, “लेकिन जब अदालत कार्यकारी शक्ति का इस्तेमाल करती है, तब उसकी जनता आलोचना नहीं कर सकती। फैसला लेने वाले को मतदान के जरिए हटा देने का भी अधिकार नहीं रहता। न्यायिक समीक्षा का अवसर भी उपलब्ध नहीं होता।”
उन्होंने कहा, “अदालतों को कार्यपालिका के फैसले सही हैं या नहीं इसकी समीक्षा का कानूनी दायरे में अधिकार है, लेकिन अदालतें कार्यपालिका का विकल्प नहीं हो सकतीं। ये नहीं कह सकतीं कि वे कार्यकारी शक्ति का इस्तेमाल करेंगे। लोकतंत्र इसी तरह से चलता है। न्यायपालिका के बुनियादी स्वरूप को संरक्षित रखने के लिए हम अन्य दो (विधायिका और कार्यपालिका) के साथ समझौता नहीं कर सकते।”
हाल में राज्यसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के संदर्भ में वित्तमंत्री ने सांसदों से आग्रह किया था कि वे बजट बनाने और कर लगाने का अधिकार न्यायपालिका को न सौंपें।
उन्होंने यह भी दावा किया था कि न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के अधिकारों का अतिक्रमण कर रही है।
राज्यसभा में विनियोग (संख्या-2) विधेयक 2016 एवं वित्त विधेयक 2016 पर चर्चा के दौरान जेटली ने कहा था कि भारत के विधानमंडल की इमारत को क्रमश: ईंट दर ईंट निकालकर बर्बाद किया जा रहा है।