नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। वस्तु एवं सेवा कर में प्रस्तावित संशोधन को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा राज्यसभा में बुधवार को रखे जाने का प्रस्ताव है। इससे पहले सरकार ने इस विधेयक की राह की बाधाओं को दूर करने के क्रम में पहले प्रस्तावित एक फीसदी अतिरिक्त कर खत्म कर दिया है।
तकनीकी रूप से इसे संविधान संशोधन विधेयक, 2014 का नाम दिया गया है। इसमें इसके मूल विधेयक के खंड 18 को हटा दिया गया है। इसे पहले उत्पादक राज्यों द्वारा राजस्व कमी के नुकसान को पूरा करने के लिए दो सालों के लिए लागू करने का प्रस्ताव था।
विपक्षी कांग्रेस पार्टी इस विधेयक का विरोध कर रही है, जिसमें मुख्य गतिरोध इस एक फीसदी अतिरिक्त कर पर ही था। इस विधेयक को पारित करने के लिए सरकार को कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है, क्योंकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को राज्यसभा में बहुमत नहीं है।
खंड 19 में इसके अतिरिक्त नए कर प्रणाली के कारण नुकसान उठाने वाले राज्यों को पांच साल तक मुआवजा देने की बात है। अब इसमें कहा गया है कि संसद कानून बना कर राज्यों को मुआवजा देगी, जबकि पहले इसमें राज्यों को मुआवाजा दिया जा सकता है की बात कही गई थी।
हालांकि जीएसटी दर को निर्दिष्ट करने की कांग्रेस की दूसरी मांग को स्वीकार नहीं किया गया है। पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा की अध्यक्षता में जीएसटी समिति की बैठक में सभी राज्य इस बात पर राजी थे कि जीएसटी की दर का इस विधेयक में उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए।