भोपाल-बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के हिंदी विषय में कल पूछे गए एक प्रश्न को लेकर राज्य विधानसभा में मंगलवार को हंगामा खड़ा हो गया। प्रश्न पत्र में ‘जातिगत आरक्षण देश के लिए घातक’ विषय पर निबंध लेखन को लेकर था।
लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष पीए संगमा और पूर्व सांसद पवन दीवान के निधन पर विधानसभा में आज श्रद्धांजलि दिए जाने के बाद सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई तो विपक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया लेकिन अध्यक्ष ने प्रश्नकाल के बीच में इसकी अनुमति नहीं दी। प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद फिर से विपक्ष के नेता बाला बच्चन, राम निवास रावत, मुकेश नायक ने इस विषय को उठाने का प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में स्थगन प्रस्ताव की सूचना भी दी है। इस पर अध्यक्ष ने उक्त सूचना तय समयावधि में नहीं मिलने पर चर्चा का निर्णय विचाराधीन होना बताया। उन्होंने कहा कि सूचना सदन की कार्यवाही शुरु होने से दो घंटे पहले मिलना इसलिए अनिवार्य है ताकि सरकार को भी संबंधित जानकारी जुटाने का समुचित समय मिल सके। यह नियम भी इसलिए ही बना है।
विपक्ष के शांत न होने पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संसदीय नियमों का हवाला दिया। लेकिन विपक्ष के सदस्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अड़े रहे। इस पर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसान एक बार फिर ओले-पानी से प्रभावित हैं लेकिन विपक्ष को किसानों की समस्या से कोई लेनादेना नहीं। एक भी विपक्षी सदस्य इस विषय पर बोलने की बजाए परीक्षा में पूछे गए प्रश्न को लेकर राजनीति करना चाहते हैं।
इस पर विपक्ष के बाला बच्चन, अजय सिंह, मुकेश नायक, रामनिवास रावत, सुंदरलाल तिवारी, जीतू पटवारी, लाखन सिंह यादव, सचिन यादव, तरुण कुमार भनोत ने एकसाथ बोलना शुरू कर दिया। बहुजन समाज पार्टी की दो महिला विधायकों शीला त्यागी और उषा चौधरी ने भी उनके स्वर में स्वर मिलाया।
सदस्यों के लगातार हंगामा किए जाने पर अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दस मिनिट के लिए स्थगित कर दी। सदन पुन: समवेत होते ही दूसरी बार में वन मंत्री डॉ गौरी शंकर शेजवार व कांग्रेस के मुकेश नायक व्यक्तिगत टीका टिप्पणियों को लेकर भिड़ गए। शेजवार ने नायक को आरक्षण विरोधी बताते हुए कहा कि वह प्रवचनों में भी आरक्षण के खिलाफ बातें करते हैं। वहीं नायक ने शेजवार पर हमला किया कि आप जिस वर्ग से आते हो, उसके खिलाफ ही यहां बातें करते हो। जिसकी बदौलत कुर्सी मिली है, उसका ही विरोध कर रहे हो।
वनमंत्री इस मामले में इतने उत्तेजित दिखे कि अध्यक्ष को उन्हें सदन की कार्यवाही चलने में मदद करने की सीख देनी पड़ी। बावजूद इसके वन मंत्री चुप नहीं हुए। सत्ता पक्ष की ओर से सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव, संसदीय कार्य डॉ. मिश्रा, विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया, रामेश्वर शर्मा ने विपक्ष के हंगामे के बीच कहा कि इन्हें किसानों की चिंता नहीं है। गरीबों की बात नहीं करते। सही बात तो यह है कि ये लोग ही आरक्षण नहीं चाहते।
पंचायत मंत्री भार्गव ने कहा कि कांग्रेस के आरक्षित वर्ग के नेता शिवभानुसिंह सोलंकी को पार्टी ने सीएम नहीं बनने दिया। दोनों ही पक्षों के सदस्यों द्वारा लगातार शोर शराबा किए जाने पर अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही दस मिनिट के लिए पुन: स्थगित करनी पड़ी।