नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) यूयू ललित ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर वरिष्ठतम न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नाम की केंद्र से मंगलवार को सिफारिश की.
सीजेआई ने अपने पत्र की प्रति जस्टिस चंद्रचूड़ को सौंपी है. जस्टिस चंद्रचूड़ नौ नवंबर को 50वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण कर सकते हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे. वह देश के सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं. उनके पिता 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक न्यायपालिका के शीर्ष पद पर काबिज रहे.
सरकार ने सात अक्टूबर को सीजेआई को एक पत्र भेजकर उनसे अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने को कहा था.
जस्टिस चंद्रचूड़ का दो साल का कार्यकाल होगा और वह 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं.
भारत के मुख्य न्यायाधीश के नामकरण की स्थापित प्रक्रिया के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री निवर्तमान सीजेआई के कार्यकाल की समाप्ति से पहले से उनसे अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगते हैं और वे बदले में शीर्ष अदालत के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश का नाम प्रस्तुत करते हैं.
शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का संचालन करने वाले प्रक्रिया ज्ञापन के अनुसार, निवर्तमान सीजेआई ने विधि मंत्रालय से पत्र मिलने के बाद अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
ज्ञापन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश को सीजेआई पद के योग्य माना जाता है और ‘उचित समय पर’ न्यायपालिका के निवर्तमान प्रमुख की राय ली जाती है.
जस्टिस चंद्रचूड़ पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. वह इस पद पर नियुक्त होने तक 29 मार्च 2000 तक बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जस्टिस चंद्रचूड़ को जून 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदस्थ किया और उन्हें उसी साल अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था.
दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स करने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर से एलएलबी की डिग्री ली और इसके बाद अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से ज्यूरिडिकल साइंस में डॉक्टरेट तथा एलएलएम की डिग्री हासिल की थी.
वह सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की और मुंबई विश्वविद्यालय में संवैधानिक कानून के अतिथि प्रोफेसर भी रहे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ वर्तमान में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.
शीर्ष अदालत के रोस्टर में अधिक ‘उदार’ न्यायाधीशों में से एक माने जाने वाले जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई उल्लेखनीय निर्णय दिए हैं. वह जस्टिस केएस पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ मामले में उस पूर्ण पीठ का हिस्सा थे, जिसमें न्यायालय ने निजता का अधिकार संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार माना था.
अगले सीजेआई (जस्टिस चंद्रचूड़) ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट पर हाल का फैसला भी दिया है, जिसमें 24 सप्ताह की गर्भावस्था तक विवाहित और अविवाहित महिलाओं दोनों के लिए मुफ्त और सुरक्षित गर्भपात के अधिकार को बरकरार रखा गया है.
इससे पहले बीते अगस्त माह में जस्टिस यूयू ललित को भारत का 49वां प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. उन्होंने 27 अगस्त को अपना पदभार ग्रहण किया था. प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस ललित का कार्यकाल 74 दिन का है. वह 65 वर्ष के होने पर इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे.
जस्टिस ललित दूसरे ऐसे सीजेआई हैं, जो बार से पदोन्नत होकर सीधे शीर्ष अदालत पहुंचे हैं. जस्टिस एसएम सीकरी पहले ऐसे सीजेआई थे, जो 1964 में बार से सीधे शीर्ष अदालत पहुंचे थे. वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे.