नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जल्लीकट्ट (सांड पर काबू पाने का एक खेल) पर लगाई गई रोक को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले से पशु कल्याण संगठन नाराज हैं। उनका कहना है कि वे सरकार के इस फैसले को चुनौती देंगे।
केंद्र सरकार ने जल्लीकट्ट पर सर्वोच्च न्यायालय के रोक के आदेश से असहमति जताते हुए यह रोक हटा ली है। लेकिन, साथ ही कहा है कि इस पारंपरिक खेल की अनुमति तभी होगी, जब पशु की सुरक्षा के लिए जरूरी उपाय किए गए होंगे।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा, “हमने जिसकी (जल्लीकट्ट) अनुमति दी है, वह जरूरी सुरक्षा उपायों और यह सुनिश्चित करने के साथ है कि जानवरों के साथ क्रूरता नहीं होगी। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं की कुछ निषेधात्मक उपायों के साथ अनुमति देनी पड़ती है।”
पशु कल्याण संगठनों ने सरकार की नई अधिसूचना को असंवैधानिक बताया है।
पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) की सदस्य अंजली शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने दो टूक शब्दों में कहा था कि जल्लीकट्ट अवैध है। यह नई अधिसूचना सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के पूरी तरह खिलाफ है। एडब्ल्यूबीआई इस बारे में प्रस्ताव पारित करने जा रहा है। इसके बाद इसे चुनौती दी जाएगी।”
अंजली ने याद दिलाया कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में यह भी कहा गया था कि अधिसूचना में अगर कोई बदलाव होना होगा तो इसके लिए एडब्ल्यूबीआई से सलाह लेनी होगी।
उन्होंने इस बात को गलत बताया कि परंपरा को जारी रखने दिया ही जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “सती परंपरा भी थी, लेकिन हमने इसका विरोध किया। यह भी ऐसी परंपरा है, जिसमें पशुओं के साथ क्रूरता अतंर्निहित है।”
पीपुल फाहर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) के सदस्य चैतन्य होदुरी ने भी एडब्ल्यूबीआई जैसी ही बातें कहीं। उन्होंने भी कहा कि सरकार के फैसले को चुनौती दी जाएगी।