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जयशंकर ने विदेश सचिव का प्रभार संभाला (राउंडअप)

नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर ने गुरुवार को देश के नए विदेश सचिव का पदभार संभाल लिया। जयशंकर को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों में व्यापक बदलाव में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने वाले के रूप में देखा जाता है।

कांग्रेस ने तुरंत हुए इस बदलाव पर सवाल उठाया है और सरकार से इस पर कारण स्पष्ट करने की मांग की है। उधर सत्ताधारी भाजपा ने कठोरता से जवाब दिया है कि यह सरकार के नियुक्ति करने के आधिकार के दायरे में आता है।

सरकार ने बुधवार रात 1977 बैच के टॉपर रहे भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के अधिकारी जयशंकर को नए विदेश सचिव के रूप में नियुक्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति कमेटी ने बुधवार रात को ‘तत्काल प्रभाव’ से सुजाता का ‘कार्यकाल छोटा’ करने और विदेश सेवा में 1977 बैच के अधिकारी जयशंकर को नियुक्त करने का फैसला लिया।

अचानक लिया गया यह फैसला अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के तीन दिवसीय भारत दौरे की समाप्ति के एक दिन बाद हुआ है। इसी दौरान भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौते को लेकर महत्वपूर्ण कदम की घोषणा की गई थी।

कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने हैरत जताई कि कहीं यह फैसला देवयानी खोबरागडे मुद्दे पर सुजाता सिंह द्वारा कड़ा रुख अपनाने पर तो नहीं लिया गया।

तिवारी ने आईएएनएस से कहा, “विदेश सचिव विदेश सेवा का प्रमुख होता है..यदि आप वरिष्ठता और कार्यकाल के साथ अनुचित कदम उठाने जा रहे हैं तो आपको स्पष्ट रूप से यह व्याख्या करनी होगी कि ऐसा करने का कारण क्या है।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हालांकि कहा कि नियुक्ति पर फैसला लेना सरकार के विशेषाधिकार के दायरे में आता है।

भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, “मैं हंगामे का कोई कारण नहीं देखता। एक सरकार किसी अधिकारी को कैसे नियुक्त करेगी और उसकी जिम्मेदारी क्या होगी इसका फैसला लेना उसके दायरे में है। और यह कोई पहला मौका नहीं है..पूर्व की सरकार ने इस तरह के फैसले लिए थे।”

दिसंबर 2013 में न्यूयार्क में पदस्थ भारतीय कूटनीतिक अधिकारी देवयानी खोबरागडे पर अमेरिकी अधिकारियों ने अपनी नौकरानी का वीजा पाने के लिए गड़बड़ी करने और उसे अमेरिका में प्रवेश कराने के लिए गलत दस्तावेज मुहैया कराने का आरोप लगाया था। उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था।

साउथ ब्लॉक में नई जिम्मेदारी संभालते हुए, जयशंकर ने कहा, “मेरी प्राथमिकता वही है, जो सरकार की प्राथमिकता है।”

जयशंकर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी के तौर पर जाना जाता है। उनके द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी का निर्वाह करने की क्षमता से मोदी प्रभावित हैं।

कूटनीतिक सेवा से 31 जनवरी को निवृत्त हो जाने वाले जयशंकर ने कहा कि वह इस जिम्मेदारी के लिए चुने जाने पर ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे हैं। प्रभार ग्रहण करने के समय सुजाता सिंह मौजूद नहीं थीं। जयशंकर ने बाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की।

दिसंबर 2013 में अमेरिका में भारतीय राजदूत के रूप में प्रभार लेने के बाद जयशंकर ने दोनों देशों के बीच की खाई पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जयशंकर ने देवयानी खोबरागडे की न्यूयार्क में गिरफ्तारी मामले को निपटाने में विशेष भूमिका निभाई। इसके अलावा जयशंकर ने पिछले साल सितंबर में मोदी की अमेरिका यात्रा की तैयारी में बड़ी भूमिका निभाई थी।

वह परमाणु संधि पर बातचीत करने वाले अधिकारियों में शामिल थे। अमेरिका में राजदूत बनने से पहले वह चीन में भारत के राजदूत रह चुके हैं। वे सिंगापुर और चेक गणराज्य में भी राजदूत के रूप में पदस्थापित रहे।

जयशंकर ने विदेश सचिव का प्रभार संभाला (राउंडअप) Reviewed by on . नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर ने गुरुवार को देश के नए विदेश सचिव का पदभार संभाल लिया। जयशंकर को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय नई दिल्ली, 29 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर ने गुरुवार को देश के नए विदेश सचिव का पदभार संभाल लिया। जयशंकर को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय Rating:
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