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 जनहित याचिका पर 23 वर्षो में सुनवाई नहीं हुई! | dharmpath.com

Monday , 21 April 2025

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जनहित याचिका पर 23 वर्षो में सुनवाई नहीं हुई!

लखनऊ, 11 अगस्त (आईएएनएस)। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के अस्तित्व में आने के बाद से ही देश की शीर्ष अदालत में जनहित याचिकाओं की बाढ़-सी आ गई है। आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ है कि सर्वोच्च न्यायालय में लगभग 1600 जनहित याचिकाएं लंबित पड़ी हैं। इन पर सुनवाई नहीं हो पाई है।

लखनऊ, 11 अगस्त (आईएएनएस)। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के अस्तित्व में आने के बाद से ही देश की शीर्ष अदालत में जनहित याचिकाओं की बाढ़-सी आ गई है। आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ है कि सर्वोच्च न्यायालय में लगभग 1600 जनहित याचिकाएं लंबित पड़ी हैं। इन पर सुनवाई नहीं हो पाई है।

एक मामला यह भी सामने आया है कि एक जनहित याचिका 23 वर्ष पहले डाली गयी थी, लेकिन आज तक इसकी सुनवाई नहीं हो पाई है।

सामाजिक कार्यकर्ता एवं इंजीनियर संजय शर्मा की ओर से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई है।

शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय पर जनहित याचिकाओं की सुनवाई का दबाव लगातार बढ़ा है।

शर्मा ने बताया, “मेरी एक आरटीआई अर्जी पर सर्वोच्च न्यायालय के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी अजय अग्रवाल ने जो सूचना दी है वह बेहद चौंकाने वाली है। सूचना के अनुसार लंबित जनहित याचिकाओं में सबसे पुरानी याचिका 23 साल पहले वर्ष 1992 के जुलाई में दायर की गई थी। यही नहीं सर्वोच्च न्यायालय में इस समय भी 1598 जनहित याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें से 553 रिट याचिकाएं हैं।”

शर्मा के मुताबिक, अग्रवाल से मिली सूचना के अनुसार एक वर्ष में दायर और निस्तारित जनहित याचिकाओं को देखें तो सर्वाधिक 905 जनहित याचिकाएं वर्ष 2014 में दायर की गईं और इसी वर्ष सर्वाधिक 899 जनहित याचिकाओं का निस्तारण भी हुआ। सबसे कम जनहित याचिकाएं वर्ष 1995 व 1996 में दायर की गईं। वर्ष 1994 और इससे अगले वर्ष 1995 में एक भी जनहित याचिका का निस्तारण नहीं हुआ।

शर्मा ने कहा, “वर्ष 1994 से अब तक सर्वोच्च न्यायालय में कुल 5629 जनहित याचिकाएं दायर हुईं। इस अवधि में न्यायालय ने इनमें से 4268 जनहित याचिकाएं निस्तारित कीं। इस प्रकार पिछले 20 सालों में सर्वोच्च न्यायालय ने लगभग 76 फीसदी जनहित याचिकाओं का निपटारा किया है।”

शर्मा ने कहा कि 23 साल पहले दायर जनहित याचिका का भी लंबित होना एक गंभीर विषय है। जनहित याचिकाओं के निपटारे के लिए अलग से एक नीति होनी चाहिए। इसके तहत जनहित याचिकाएं स्वत: सूचीबद्ध हों और अधिकतम समय सीमा निर्धारित कर इन याचिकाओं का समय सीमा के अन्दर निपटारा हो।

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