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 जग में गुरु से बड़ा कोई नही | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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जग में गुरु से बड़ा कोई नही

– आचार्य रवीन्द्रसूरि
Photo (11)राजगढ़ — सामुहिक गुरूवंदन के पश्चात् शासनप्रभावक आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय रवीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. ने आराधको को श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की अट्ठम तप आराधना (अट्ठम तप तेले) का प्रभाव व उसकी महिमा बताते हुऐ कहा कि ऊँ यं रं लं वां सः हंसः शंखेश्वर पाश्र्वनाथाय र्हृीं का 108 बार जाप करवाते हुऐ आचार्यश्री ने बताया की उक्त मंत्रोंचार के साथ श्री अरिहंत परमात्मा, श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की नवांगी पूजा आराधक के द्वारा की जाती है तो आराधक के घर में हमेशा लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है आचार्यश्री ने धर्मवाणी का श्रवण कराते हुऐ कहा कि तीर्थ भूमि पर 18 जूलाई से सिद्धितप तपस्या प्रारम्भ हुई है और आज से 275 आराधक श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु के अट्ठम तप तेले की त्रिदिवसीय आराधना में शामिल हुऐ है सभी तीर्थंकर पूण्यशाली होते है इस चैबिसी में श्री पाश्र्वप्रभु ऐसे पहले तीर्थंकर हुऐ है जिनका नाम उनके जन्म से पहले ही आ गया था । कलयुग में श्री शंखेश्वर दादा का काफी प्रभाव है श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की प्रतिमा अट्ठमतप के प्रभाव से देवलोक से आयी है । एक आसन पर बैठकर निराहार रहकर संकल्प करके अट्ठमतप करने वाला आराधक देवताओं को भी अपने समक्ष उपस्थित होने को मजबूर कर देता है आराधक तप के प्रभाव से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है इतिहास साक्षी है कि श्रीकृष्ण ने श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की प्रतिमा के अभिषेक के जल को अपनी सेना पर छिडककर सेना को शक्ति प्रदान कर युद्ध में असुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त की और शंखपूर नगर बसा कर वहां पर श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की तब से दादा का प्रभाव व प्रताप आज भी विद्यमान है । स्थिर मन के साथ एकाग्र भावों से आराधक यदि अट्ठम तप की आराधना करता है तो श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु आराधक की सर्व मनोवांछित मनोकामनाऐं पूर्ण करते है । आचार्यश्री ने कहा बिना गुरुकृपा के प्रभु कृपा प्राप्त नही कर सकते है जीवन में कितने ही पाप करने वाला पापी धर्म आराधना से तिर सकता है परन्तु जीवन में गुरु द्रोही कभी नहीं जीत सकता है उसे हर स्थान पर तिरस्कार प्राप्त होता है गुरु से बड़ा कोई नहीं जिसे गुरुकृपा प्राप्त हो जाती है वह साधक जीवन में सब कुछ पा जाता है ।
आज श्री मोहनखेडा तीर्थ पर खाचरौद निवासी श्री सुभाषचंदजी, राजमलजी, धर्मचंदजी, माणकलालजी, हीरालालजी, प्रकाशजी, श्रेणीकजी, विरेन्द्रजी, ललितजी, अनिलजी, मन्नालालजी नागदा परिवार के 11 भाईयों के परिवार में श्री ऋषभकुमार सुभाषजी नागदा द्वारा 200 यात्रीयों का यात्रा संघ लाया गया । संघपति परिवार ने प्रभु एवं दादा गुरुदेव के मंदिर में पूजा – अर्चना कर आचार्य श्री रवीन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. एवं मुनिप्रवर श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. को सामुहिक गुरुवंदन कर आशीर्वाद लिया । संघपति परिवार का चातुर्मास समिति की और से अध्यक्ष श्री बाबुलाल जी वर्धन, बहुमान के लाभार्थी श्री दिलीप भण्डारी एवं श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट की और से महामंत्री श्री फतेहलाल कोठारी, मेनेजिंग ट्रस्टी श्री सुजानमल सेठ द्वारा बहुमान किया गया । संघपति परिवार ने चातुर्मास के अध्यक्ष श्री बाबुलाल वर्धन का बहुमान करते हुऐ तीर्थ में चल रहे धर्मशाला निर्माण में 1 कमरा बनाने की घोषणा की । दोपहर में दादा गुरुदेव के जीवन चरित्र पर संगीतमय कार्यक्रम भी संघपति परिवार द्वारा आयोजित किया गया ।
श्री मोहनखेडा तीर्थ पर दादा गुरूदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. की पाट परम्परा के शासनप्रभावक सप्तम पटधर वर्तमान प.पू. गच्छााधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय रवीन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., ज्योतिषम्राट मुनिप्रवर श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म. सा., मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म. सा. शासन ज्योति साध्वी श्री महेन्द्रश्रीजी म. सा., सेवाभावी साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की पावनतप निश्रा में आज श्री भरतपूर नगर प्रवचन पाण्डाल में संगीतमय ’अरिहंत वंदनावली’ का रंगारंग भक्तिभावना पूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया । पूरा कार्यक्रम युवा मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा. की सानिध्यता में सम्पन्न हुआ । जिसमें इन्द्र – इन्द्राणी बनने का लाभ सुमेरमलजी राका परिवार द्वारा लिया गया ।
श्री मोहनखेडा तीर्थ पर यशस्वी चातुर्मास के दौरान 45 दिन की सिद्वितप आराधना चल रही है । आज से श्री शंखेश्वर पाश्र्वनाथ प्रभु के अट्ठम तप की आराधना प्रारम्भ हुई उसमें 275 आराधक शामिल हुऐ । तीर्थ पर सांकली अट्ठम तपाराधना निरन्तर गतिमान है

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