भुवनेश्वर, 12 मार्च (आईएएनएस)। शीर्ष गैर-सरकारी संगठन इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इनटैच) ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर तक पहुंचाने वाले 484 किलोमीटर लंबी जगन्नाथ मार्ग का संलेखन (डॉक्यूमेंटेशन) करेगा। संगठन के एक सदस्य ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
इनटैच भारत के प्राकृतिक, सांस्कृतिक, रहन-सहन, मूर्त और अमूर्त विरासत के संरक्षण के लिए काम करता है।
एनजीओ के सदस्य अनिल धीर ने आईएएनएस को बताया कि इनटैच के राज्य संयोजक ए.बी. त्रिपाठी के नेतृत्व में कोलकाता से पुरी जाने वाले जगन्नाथ मार्ग के अवशेषों का सर्वेक्षण किया जा रहा है।
धीर ने बताया, “तीन साल पहले, मैंने बैलगाड़ी से इस रास्ते पर यात्रा की थी। मुझे इस सड़क के किनारों पर प्रचीन काल में निर्मित विश्रामालयों, कुओं, टैंकों, पुलों, मंदिरों के अवशेष मिले थे।”
उन्होंने बताया, “इस मार्ग की दुर्दशा पर जब मैंने प्रकाश डाला, तब इनटैच ने पिछले साल जून में इसके सूचीकरण और संलेखन के लिए एक परियोजना शुरू की थी।”
उन्होंने कहा, “हम इस साल जुलाई में पुरी में होने वाले भगवान जगन्नाथ के नवकलेवर महोत्सव से पहले इस मार्ग पर एक मुद्रित पुस्तक प्रकाशित करेंगे। पुस्तक में ऐसे सैकड़ों स्मारकों, ढांचों, कुओं और तालाबों आदि की तस्वीरें होंगी।”
धीर ने बताया कि जगन्नाथ मार्ग संभवत: 17वीं सदी के अंत में बना था। यह पुरी जाने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए जीवन-रेखा था।
वर्ष 1982 से इस सड़क को ओडिशा ट्रंक रोड के नाम से जाना जाने लगा, लेकिन इस राह से पुरी जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह जगन्नाथ मार्ग ही रहा।
धीर ने कहा कि मार्ग के संलेखन और सूचीकरण से जगन्नाथ मार्ग के इतिहास के प्रति जागरूकता फैलाने और इस सड़क की खोई चीजों के संरक्षण में मदद मिलेगी।