शिमला, 3 मार्च (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने छोटे किसानों के 50,000 रुपये तक के ऋण को या तो माफ करने या उसका भुगतान किश्तों में अदा करने का समर्थन किया है।
न्यायालय ने किसानों के ऊपर दबाव के मद्देनजर, सरकार से एक आयोग की स्थापना करने व किसानों के लिए एक बीमा योजना प्रदान करने के लिए कहा।
भारतीय गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद की याचिका पर इन आदेशों को पारित करते हुए न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की एक खंडपीठ ने कहा कि अजीब स्थलाकृतिक व भौगोलिक परिस्थितियों के कारण किसान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं।
पीठ द्वारा बुधवार को जारी आदेश के मुताबिक, “अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसानों के पास अपना कोई मंच नहीं है और यह जरूरी है कि राज्य सरकार को उनके हितों के संरक्षण के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।”
आदेश के मुताबिक, “आयोग का गठन केंद्र, राज्य सरकार द्वारा किया गया है तथा उनकी सिफारिशों को स्वीकार करना चाहिए, और अगर इसे स्वीकार नहीं किया जाता, तो इसके ठोस कारण बताने चाहिए।”
मामले की सुनवाई की अगली तारीख 13 जून मुकर्रर करते हुए न्यायाधीशों ने राज्य सरकार को छोटे किसानों द्वारा लिए गए ऋण (50,000 रुपये तक) को माफ करने या फिर उन्हें कम ब्याज पर किस्तों में अदा करने के लिए एक योजना बनाने का निर्देश दिया। किसान बेहद दबाव झेल रहे हैं।
न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव को छह महीने के भीतर कम से कम प्रीमियम पर राष्ट्रीय बीमा कंपनियों के साथ परामर्श कर एक अनाज बीमा कवर मुहैया कराने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने पंचायती राज, शहरी विकास व पशुपालन के अतिरिक्त मुख्य सचिवों को अलग-अलग पांच करोड़ रुपये जारी करने का निर्देश दिया।