रायपुर, 19 मई (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में राज्यसभा के लिए भाजपा-कांग्रेस के दावेदारों के बीच जोर आजमाइश शुरू हो गई है। भाजपा से राज्यसभा सदस्य नंदकुमार साय की स्वाभाविक दावेदारी है, लेकिन इस बीच यह संकेत मिल रहे हैं कि अगर उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा जाएगा, तो आदिवासी फार्मूले के तहत उन्हें राज्यपाल बनाया जा सकता है।
भाजपा में राज्यसभा के लिए उम्मीदवार के नाम पर विचार करने के लिए प्रदेश भाजपा नेताओं की एक बैठक प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में हुई है। बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह, प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
इस बैठक से यह बात सामने निकलकर आई कि साय को राज्यपाल बनाया जा सकता है।
भाजपा के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेताओं पर जनजातीय समाज की तरफ से नंदकुमार साय को राज्यसभा में भेजने का दबाव बनाया जा रहा था। समाज के नेता भी साय के लिए दबाव बनाए हुए हैं।
बताया जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व पीयूष गोयल को राज्यसभा भेजने की तैयारी में है। ऐसे में जनजातीय समुदाय के नेताओं की नाराजगी से बचने और वरिष्ठता को आधार बनाकर साय को राज्यपाल बनाने की सिफारिश की जा सकती है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो साय ने अब तक इस पर अपनी राय नहीं दी है। आईएएनएस ने साय से इस मामले को लेकर चर्चा की, लेकिन उन्होंने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी।
साय ने कहा कि राज्यसभा का उम्मीदवार बनाना पार्टी का आंतरिक मामला है। पार्टी जो तय करेगी, उनको मान्य होगा।
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ आदिवासी नेता कई अवसरों पर प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग उठाते रहे हैं।
प्रेक्षकों का मानना है कि उनकी मांग को पार्टी किसी हाल में नजरअंदाज नहीं कर सकती। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की संख्या 32 फीसदी है। यही बात इस मांग का आधार भी है। माना जा रहा है कि अगर साय को राज्यसभा से वंचित किया गया तो आदिवासी मुख्यमंत्री का मुद्दा भाजपा में गरमा सकता है। यही कारण है कि पार्टी कोई ऐसा रास्ता निकालने की कोशिश में है कि आदिवासी समाज संतुष्ट रहे।
हालांकि, यह पहला अवसर नहीं है। आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग करीब दो दशक पहले अविभाजित मध्य प्रदेश में भी उठती रही है। तब के कांग्रेस नेता अरविंद नेताम यह मुद्दा उठाते रहे और आखिरकर वे राजनीति के हाशिये पर चले गए।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल बुधवार शाम को अचानक दिल्ली रवाना हो गए। नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव भी भोपाल से दिल्ली पहुंचे हैं।
कांग्रेस के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को एआईसीसी में राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दोनों नेता रवाना हुए।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा सदस्य मोहसिना किदवई का कार्यकाल खत्म होने पर किसी वरिष्ठ कांग्रेसी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। कुछ लोगों का कहना है कि अगले साल उत्तर प्रदेश के चुनाव के मद्देनजर मोहसिना किदवई को फिर मौका दिया जा सकता है।
इस बीच, जोगी खेमे के नेता भी दिल्ली में सक्रिय हो गए हैं। पूर्व विधायक अमरजीत सिंह और विधान मिश्रा दो दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दोनों नेता कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की कोशिश कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इनकी अब तक मुलाकात नहीं हुई है। जोगी के करीबी सूत्रों के अनुसार, ये नेता अजीत जोगी या फिर प्रदेश के किसी आदिवासी नेता को राज्यसभा में भेजने की सिफारिश करने के लिए पहुंचे हैं।