नई दिल्ली, 16 फरवरी – छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रविवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के भारत सम्मेलन में शामिल हुए, जहां आदिवासी बहुल राज्य के मुख्यमंत्री को सुनने के लिए लोगों में काफी उत्सुकता देखी गई। कार्यक्रम में काफी संख्या में लोग जुटे। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, बघेल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और कृषि विकास पर सुझाव दिए। वहीं हार्वर्ड के शोधार्थियों व विद्वानों की हर जिज्ञासाओं का मुख्यमंत्री ने बेबाकी से जवाब दिया। मुख्यमंत्री बघेल को अगली बार भी सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जब तक जातियों को राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है, तब तक हम उत्पादन का अधिकार एवं गौरवपूर्ण नागरिकता को सुरक्षित नहीं कर पाएंगे। हम बाबा साहब अंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलकर ही मजबूत राष्ट्र बना सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि जातियों के सामाजिक, आर्थिक मजबूती के लिए ‘मनखे मनखे एक समान’ के आदर्श और प्रज्ञा, करुणा, मैत्री के आधार पर सामाजिक सरोकार को बढ़ाना होगा।
बघेल ने कहा कि गांधी के रास्ते पर चलते हुए गावों के स्वावलंबन को बढ़ाना होगा। समृद्ध राष्ट्र और सम्मानित समाज और निर्भय नागरिक निर्माण का काम तभी हो सकेगा। नए समाज में जातिभेद, वर्गभेद से ऊपर उठकर ही सबल राष्ट्र का निर्माण हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ने अपना उद्बोधन स्वामी विवेकानंद के उस वाक्य से किया, जिसमें उन्होंने कहा था, “मैं उस देश का प्रतिनिधि हूं, जिसने मनुष्य में ईश्वर को देखने की परंपरा को जन्म देने का साहस किया था और जीव में ही शिव है और उसकी सेवा में ही ईश्वर की सेवा है।”
मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन के बाद हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के भी जबाव दिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के बाबत ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ योजना चलाई जा रही है।
नक्सलवाद की समस्या पर पूछे गए प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों से अशिक्षा, गरीबी, भुखमरी और शोषण को दूर किए जाने से इस समस्या से मुक्ति मिल सकेगी।