चेन्नई, 2 मार्च (आईएएनएस)। देश का चौथा उपग्रह नौ मार्च को अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा, और इसके साथ ही भारत अपनी खुद की अंतरिक्ष नौवहन प्रणाली के करीब पहुंच जाएगा। यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को दी।
सतीष धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एम.वाई.एस.प्रसाद ने कहा, “उपग्रह छोड़े जाने का समय नौ मार्च शाम करीब 6.35 बजे तय किया गया है। हालांकि, प्रक्षेपण को आखिरी मंजूरी तय तिथि से कुछ दिन पहले ही दी जाएगी।”
उन्होंने बताया कि उपग्रह का परीक्षण किया गया और उसे रॉकेट से जोड़ा गया, जबकि इसका हीट शील्ड सोमवार को बंद कर दिया जाएगा।
प्रसाद ने कहा, “पूर्ण परीक्षण एकबार फिर मंगलवार को किया जाएगा और रॉकेट को द्वितीय प्रक्षेपण मंच पर चार मार्च को लाया जाएगा।”
उनके अनुसार, अंतरिक्ष एजेंसी का लांच अथराइजेशन बोर्ड (एलएबी) रॉकेट की उड़ान को मंजूरी देगा।
एलएबी की बैठक छह मार्च को होगी। सात मार्च को प्रक्षेपण की 59 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रहण प्रणाली (आईआरएनएसएस) का 1,425 किलोग्राम भार वाला चौथा उपग्रह-आईआरएनएसएस-आईडी भारतीय रॉकेट ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (पीएसएलवी)-एक्सएल के साथ अंतरिक्ष में उड़ान भरेगा।
इस प्रक्षेपण की सफलता के बाद और आईआरएनएसएस-आईडी की शुरुआत से भारत उन देशों के समूह में शामिल हो जाएगा जिनके पास अपनी उपग्रहण नौवहन प्रणाली है।
उपग्रह 10 साल तक सक्रिय रहेगा।
मौजूदा समय में भारत उस स्थान के करीब पहुंचने की कोशिश कर रहा है, जहां अमेरिका, रूस, चीन और जापान पहले से मौजूद हैं।
इसरो के अधिकारियों ने बताया कि इस पूरी प्रणाली में नौ उपग्रह शामिल हैं। प्रत्येक उपग्रह के निर्माण में करीब 150 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं और पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण के रॉकेट की कीमत 130 करोड़ रुपये है।