(खुसुर-फुसुर)– अन्ना हजारे पर मप्र भाजपा की पत्रिका चैरैवेती में छपे लेख पर हंगामा मचा.यह लेख वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल ने लिखा था.शायद इस लेख पर ये हंगामा न बरपता सिर्फ चर्चा होती लेकिन इसका धरातल भाजपा की पत्रिका थी इसलिए हंगामा तो होना ही था.जयराम शुक्ल ने अन्ना की रैलियों और उन्हें दिए जा रहे विदेशी समर्थनों,पैसों पर सवाल उठाया था क्योंकि दिल्ली में भाजपा इसका नुक्सान देख चुकी है और यह भी देखने में आया की आखिर अन्ना को क्यों बाहरी शक्तियां पैसा देती हैं अन्ना के देश में ही आन्दोलन के लिए.
जयराम शुक्ल का एक स्थान पत्रकारिता के क्षेत्र में रहा है, हंगामा होने पर इन्हें अपने लेख को वापस लेना पड़ा और खुसुर-फुसुर यह है की इस बाबत लोगों का ध्यान घर के भेदियों ने ही खींचा की इसे इस तरह से मोड़ा जा सकता है.इसमें भाजपा मीडिया से जुड़े एक पदाधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका है जो हमेशा इस तरह अपने कार्यों को अंजाम देने के लिए विख्यात हैं.लेकिन इस दफे जयराम शुक्ल का पत्रकारिता में कद और साफगोई पेश होने से व्यवस्था पर कोई आघात नहीं हुआ.
सूत्रों ने बताया की इस बाबत किसी का ध्यान नहीं था लेकिन अपने कार्यों में सिद्धहस्त इस पदाधिकारी ने किस तरह से मोड़ा जाय इस खबर को की सूचना खबरचियों को दे दी.बुद्धिजीवी माने जाने वाले इन पदाधिकारी ने पार्टी की परेशानियों को बढाने वाला यह कदम जान-बूझकर उठाया और शांत हो बैठ गए.