नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। केंद्र सरकार ने 2006-07 में भारत-चीन सीमा पर 73 रणनीतिक सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी थी। इनका निर्माण 2012 तक पूरा कर लिया जाना था। इसमें से 82 फीसदी परियोजनाएं हालांकि अब तक पूरी नहीं हुई हैं और इसकी समय सीमा 2018 तक के लिए बढ़ा दी गई है।
नई दिल्ली, 30 जून (आईएएनएस/इंडियास्पेंड)। केंद्र सरकार ने 2006-07 में भारत-चीन सीमा पर 73 रणनीतिक सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी थी। इनका निर्माण 2012 तक पूरा कर लिया जाना था। इसमें से 82 फीसदी परियोजनाएं हालांकि अब तक पूरी नहीं हुई हैं और इसकी समय सीमा 2018 तक के लिए बढ़ा दी गई है।
चीन यात्रा से पहले टाइम पत्रिका को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “यह अशांत सीमा नहीं है। पिछले करीब 25 सालों में एक भी गोली नहीं चली है।”
मोदी और चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने सीमा पर शांति बहाल रखे जाने पर सहमति भी जताई है।
सीमा पर हालांकि चीनी सैनिकों का भारतीय सीमा में घुस आना एक बड़ा मुद्दा है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, 2010 से 2014 तक ऐसे 1,612 मामले सामने आए हैं।
सीमा पर नई सड़कें बनाई जा रही हैं, लेकिन उनकी रफ्तार धीमी है।
रक्षा मामलों की एक संसदीय समिति के मुताबिक चीन की ओर से जहां दो-तीन घंटे में सीमा पर पहुंचा जा सकता है, वहीं भारत की ओर से सीमा पर पहुंचने में एक दिन से अधिक समय लगता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 73 में से 19 सड़कों का ही निर्माण हो पाया है।
40 सड़कों की धीमी गति के कारण उनकी समय सीमा छह साल आगे बढ़ा दी गई है। दो सड़कों का निर्माण शुरू ही नहीं हो पाया है।
रेल मार्ग से संबंधित योजनाएं अभी योजनाएं ही हैं, जबकि चीन की ओर से रेलमार्ग सीमा के पास पहुंच चुका है।
केंद्र सरकार अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में चार रेल मार्गो का निर्माण करना चाहती है। इनका निर्माण रक्षा और रेल मंत्रालय संयुक्त रूप से करेंगे।
भारत-चीन सीमा की संवेदनशीलता का पता इस बात से चलता है कि चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर दावा करता है। दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के अक्साई चिन क्षेत्र पर उसने 1962 के युद्ध के बाद अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
चीन इस सीमा पर हवाई क्षमता का भी विस्तार करता जा रहा है।
इसके जवाब में भारत ने जम्मू-कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के दौलत बेग ओल्डी, फुक चे और न्योमा में हाल में तीन अत्याधुनिक लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) खोले हैं। ये सभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के समीप हैं।
दौलत बेग ओल्डी दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र हैं। इसकी ऊंचाई 16,614 फुट है। यह सीमा से 10 किलोमीटर दूर है।
अरुणाचल प्रदेश में तवांग, मेचुका, विजयनगर, तुतिंग, पस्सिघाट, वालोंग, जिरो और अलोंग में 720 करोड़ रुपये की लागत से एएलजी बनाए जा रहे हैं।
भारतीय वायुसेना अपने सुखोई एसयू-30एमकेआई विमान की तैनाती असम में चबुआ और तेजपुर में करने वाली है। यह सीमा से करीब 450 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां से 15 मिनट से कम समय में विमान से सीमा पर पहुंच जा सकता है।
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। ये लेखक के निजी विचार हैं)