बीजिंग, 22 जनवरी (आईएएनएस/सिन्हुआ)। चीन की केंद्रीय सरकार देश में प्रापर्टी को लेकर संतुलन बनाने में चुनौतियों का सामना कर रही है। जहां छोटे शहरों में संपत्तियों की भरमार है, जो बिक नहीं रही। वहीं, बड़े शहरों में जमीन की कमी और घरों के महंगे दाम के कारण घर बिक नहीं रहे। इससे वहां की सुस्त होती अर्थव्यवस्था के सामने और भी चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। (20:15)
मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली कि निवेशक प्रापर्टी में पैसा नहीं लगा रहे हैं। इससे प्रापर्टी की सालाना रफ्तार घटकर 2015 में एकाएक 1 फीसदी पर आ गई जबकि पिछले साल यह 10.5 फीसदी था।
वहीं नई हाउसिंग निर्माण परियोजनाओं में साल दर साल 14 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि नई आवासीय परियोजनाओं में 14.6 फीसदी की गिरावट आई है।
एक जमाने में चीन की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में वहां के प्रॉपर्टी बाजार का बहुत बड़ा योगदान था, लेकिन आज प्रॉपर्टी बाजार की मंदी अर्थव्यवस्था को भी पीछे खींच रही है। पिछले साल के अंत तक कुल 71.85 करोड़ वर्गमीटर के व्यावसायिक आवासीय मकान की बिक्री हुई जिससे 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को घर मुहैया कराया जा सकता है। लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा प्रॉपर्टी बिकने के इंतजार में पड़ी है।
प्रॉपटी बाजार में छाई मंदी के कारण कई डेवलपरों ने नई परियोजनाओं से हाथ खींच लिया तो कई डेवलर प्रॉपटी के कारोबार से ही अलग हो गए हैं।
जानकारी मिली है कि चीन के प्रमुख डेवलपर वांडा समूह ने अपने 2016 के बिक्री लक्ष्य को 160 अरब यूआन (24.4 अरब डॉलर) से घटाकर 100 अरब यूआन कर दिया है।
सेंटालाइन प्रॉपर्टी एजेंसी के मुख्य विश्लेषक झांग डावेई ने कहा कि सरकार की तरफ से नीतिगत मदद जारी रहने के बावजूद प्रॉपर्टी बाजार के मध्यम अवधि में चुनौतीपूर्ण बने रहने की संभावना है।
दक्षिणी चीन के व्यावसायिक केंद्र शेनझेन में दिसंबर में प्रॉपटी की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 50 फीसदी की कमी देखी गई। वहीं, उत्तरपूर्वी सीमावर्ती शहर डानडोंग में एक साल में 5.3 फीसदी की गिरावट देखी गई।
वांडा समूह के बोर्ड सदस्य वांग जियांलिन का कहना है कि प्रथम श्रेणी के शहरों में जमीन की कमी के कारण प्रॉपर्टी के दाम बढ़ते रहेंगे क्योंकि अगले 20 सालों में काफी लोग दूसरी जगहों से इन शहरों में अच्छी शिक्षा और बेहतर नौकरियों की तलाश में आएंगे। बीजिंग प्रॉपर्टी एसोसिएशन की सचिव चेन झी भी वांग की बातों से सहमति जताते हुए कहती हैं कि जमीन और घर के दाम प्रथम श्रेणी के शहरों में बढ़ते रहेंगे। जबकि दूसरे श्रेणी के शहरों में दाम में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। वहीं, तीसरी और चौथी श्रेणी के शहरों में मांग में कमी देखने को मिलेगी।
देश के अलग-अलग क्षेत्रों के प्रॉपर्टी बाजार में इस अंतर से नीति निर्माताओं के सामने एक समग्र नीति बनाने की चुनौती खड़ी हो गई है। एक तरफ तो उन्हें प्रॉपर्टी बाजार की बढ़ती कीमतों पर रोक लगानी है तो दूसरी तरफ उन्हें बिकने के इंतजार में पड़ी प्रॉपर्टी बिक सके ऐसी नीतियां भी बनानी है।