केन्या के एगर्टन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रिचर्ड मुल्वा ने साक्षात्कार में कहा कि चीन के नानिंग एग्रीकल्चरल विश्वविद्यालय के सहयोग से क्रॉप मोलीक्यूलर प्रयोगशाला का निर्माण हो रहा है। इससे केन्या में छोटे और बड़े किसानों के बीच फसल की कम उत्पादकता के बारे में उनकी समस्याओं का समाधान होगा। मुल्वा ने कहा, “कृषि प्रौद्योगिकी में चीन के पास काफी अनुभव है, जिसका उपयोग हम छोटे स्तर के किसानों को प्रशिक्षित करने में उठा सकते हैं।”
इस प्रयोगशाला के अगले साल तक शुरू हो जाने पर चीन के पांच अनुभवी विद्वानों का एक दल शैक्षणिक एवं अनुसंधान गतिविधियों के प्रबंधन में केन्याई समकक्षों के साथ मिलकर काम करेगा।
मुल्वा ने कहा कि इस प्रयोगशाला के निर्माण के लिए चीन की सरकार से दस लाख डॉलर की आर्थिक मदद मिली है, जिसका उपयोग विभिन्न फसलों की आणविक आनुवंशिकी को सीखने, ऊत्तक संवर्धन की संरचना व उसमें सुधार और जीन क्लोनिंग में किया जाएगा।
खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा कि उप सहारा-अफ्रीका क्षेत्र में छोटे स्तर के किसानों को पहचानकर उनकी कृषि उत्पादकता में सुधारकर पैदावार 40 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है।