जयपुर, 8 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में अफीम की खेती कर रहे किसानों को एक खास तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
जयपुर, 8 मार्च (आईएएनएस)। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में अफीम की खेती कर रहे किसानों को एक खास तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
अफीम के फसलों की कटाई के बाद उससे विशेष प्रकार का दुधिया तरल पदार्थ निकलता है, जिसे चूसने के लिए बड़ी संख्या में तोते खेतों में आते हैं।
अफीम की खेती करने वाले सुकवारा गांव के एक किसान किशोर कुमार धकेर ने बताया, “तरल चूसने के बाद वे पेड़ों पर बैठ जाते हैं और घंटों वहां सोए रहते हैं। कई पक्षियों को झुंड में चक्कर लगाते देखा जाता है और अत्यधिक अफीम का सेवन कर लेने के कारण वे पेड़ों से गिर भी जाते हैं।”
कई तोते को नीचे मृत भी पाए गए हैं, कुछ को अन्य पक्षी मार देते हैं। इलाके में और भी प्रजाति के पक्षी हैं, लेकिन लगता है कि तोते नशीली चीजों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। लोगों को हालांकि, इसकी वजह पता नहीं है।
किसान इनसे परेशान हैं, क्योंकि पक्षियों की इन आदतों से उनका लाभ प्रभावित हो रहा है। इसके अतिरिक्त नार्कोटिक्स विभाग के अधिकारी उत्पादन में कमी को लेकर उनकी दलील को शक की निगाह से देखते हैं।
उनको दिए गए लाइसेंस के आधार पर अगर उत्पादन कम हुआ तो भविष्य में किसानों को परमिट नहीं दी जाएगी।
किसानों का कहना है कि तोते को डराने के लिए एहतियाती कदम उठाए जाते हैं, फिर भी उनकी फसलों का पांच से सात फीसदी अंश तोते खा जाते हैं।
सुकवारा गांव के एक अन्य किसान भैरूलाल जाट ने कहा, “इन तोते को नियंत्रित करना मुश्किल है। उन्हें भगाने के लिए हमें घंटों खेतों में रहना पड़ता है।”
कुछ किसान खेतों को ढकने के लिए जाल का इस्तेमाल करते हैं, कुछ टीन बजाते हैं, तो कुछ गुलेल रखते हैं।
जाट ने कहा, “हम पूरी रात सो नहीं पाते।”
अफीम की खेती राज्य के चित्तौड़गढ़, बारन, झालवार, उदयपुर और भीलवाड़ा में मार्च में होती है।