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चिकित्सा जांच के लिए एसएमएस दिलाएगा याद

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जच्चा-बच्चा की देखभाल के लिए एक योजना लाने की तैयारी में हैं। इस योजना का नाम ‘किलकारी’ रखा जाएगा। इसके तहत सरकार एसएमएस के माध्य से याद दिलाएगी कि आपके दो साल के बच्चे को टीका लगना बाकी है, अथवा आपने गर्भवती होने के छह माह पूरे कर लिए हैं और आपको चिकित्सक के पास जांच के लिए जाना है। इसी तरह की कई अन्य सुविधाओं से युक्त यह योजना इस साल अगस्त तक जारी हो सकती है।

नई दिल्ली, 18 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जच्चा-बच्चा की देखभाल के लिए एक योजना लाने की तैयारी में हैं। इस योजना का नाम ‘किलकारी’ रखा जाएगा। इसके तहत सरकार एसएमएस के माध्य से याद दिलाएगी कि आपके दो साल के बच्चे को टीका लगना बाकी है, अथवा आपने गर्भवती होने के छह माह पूरे कर लिए हैं और आपको चिकित्सक के पास जांच के लिए जाना है। इसी तरह की कई अन्य सुविधाओं से युक्त यह योजना इस साल अगस्त तक जारी हो सकती है।

स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सी.के. मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, “संदेश महिला के फोन पर अथवा उसके पति या किसी करीबी रिश्तेदार के फोन पर भेजा जाएगा।”

गर्भवती महिलाओं को संदेश से उनके नियमित परीक्षण, खून की जांच, टिटनेस टीकाकरण और अन्य चीजों के संबंध में याद दिलाया जाएगा।

उन्होंने कहा, “गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक खाना खाने और किस तरह के व्यायाम वे कर सकती हैं आदि के बारे में बताया जाएगा।”

नई-नई मां बनी महिलाओं को उनके बच्चे के टीकाकरण के लिए नियत समय, उसके उम्र और वजन के अनुपात और बच्चे को किस उम्र में क्या खिलाना चाहिए आदि के बारे में संदेश भेजा जाएगा।

सरकार इस योजना को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। सरकार भविष्य में इस योजना से किशोरियों को भी जोड़ने की तैयारी में हैं।

मिश्रा ने कहा, “किशोरियों को भेजे गए संदेशों में बताया जाएगा कि वे एनीमिया से कैसे मुकाबला करें और अपने आपको कैसे स्वच्छ रखें।”

योजना की शुरुआत में संदेश छह भाषाओं (चार उत्तर भारतीय और दो दक्षिण भारतीय) में भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि बाद में जैसे-जैसे यह योजना बढ़ती जाएगी इसमें अन्य भाषाएं जुड़ती जाएंगी।

अभी तक इस योजना के लिए कुल 78 विशिष्ट संदेश चुने गए हैं। इसमें आगे और भी संदेश जोड़े जाएंगे।

उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों जैसे, चिकित्सक, दाइयां, राज्य स्वास्थ्य विभाग अधिकारी और सेवा प्रदाता इस योजना के केंद्र में हैं और तकनीकी खामियों पर काम चल रहा है।

यूनीसेफ के मुताबिक भारत में पांच साल की उम्र के तकरीबन 20 लाख बच्चे कुपोषण और बीमारी के कारण हर साल मारे जाते हैं। पूरी दुनिया में मरने वाले नवजात शिशुओं और बच्चों की मौत के एक चौथाई मामले भारत में दर्ज किए जाते हैं।

इसी तरह भारत में हर साल 100,000 महिलाओं की बच्चों को जन्म देने के दौरान मौत हो जाती है। मातृ मृत्यु के संबंध में यह संख्या विश्व की संख्या की एक-चौथाई है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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